राजस्थान में शराबबंदी को लेकर हो रहे आंदोलनों के बीच एक अच्छी खबर आई है. राजस्थान के 19 जिलों में 25 से 30 फीसदी तक शराब की बिक्री में कमी आई है. लेकिन जनता ने शराब क्या छोड़ी सरकार गुस्से में आ गई है. शराब की बिक्री में मंदी से मदिरा का महकमा इतना नाराज हुआ कि सभी जिला अधिकारियों को काम नही करने का नोटिस थमाते हुए राज्य सरकार ने जवाब-तलब किया है.
कमाई घटने से परेशान विभाग ने सभी 19 जिला आबकारी अधिकारियों को अपनी सरकारी गाड़ी और स्टाफ वापस लौटाने को कहा है. इससे आबकारी महकमे में हाहाकार मचा हुआ है. सरकार का यह कमाऊ पूत निकम्मा क्या हुआ ऐसा लगता है कि सरकार के होश उड़ गए हैं. हद तो ये हो गई है कि शराब की बिक्री कम होने की वजह से आबकारी आयुक्त ओ.पी. यादव ने आदेश जारी कर आबकारी विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की 31 मार्च तक छुट्टियां रद्द कर दी हैं और कहा है कि किसी भी तरह से शराब बेचकर पैसे सरकारी खजाने में ले आओ.
उधर, हैरान परेशान आबकारी अधिकारियों का कहना है कि एक तो पहले से ही लोगों में खासकर आदिवासी इलाकों और नशे से प्रभावित राज्यों में जागरूकता आ रही है और ऊपर से नोटबंदी ने हालात और बिगाड़ दिए हैं. ऐसे में वो किसे जाकर शराब पिलाएं.
सरकार को भले हीं अपना नुकसान दिख रहा हो मगर अच्छी बात ये है कि डुंगरपुर और बांसवाड़ा जैसे आदिवासी जिलों में शराब की बिक्री 28 फीसदी तक गिरी है. श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जैसे नशा प्रभावित जिलों में भी शराब की की बिक्री 25 फीसदी तक कम हुई है. यही नहीं, जयपुर, बीकानेर, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, कोटा, करौली और भरतपुर के ग्रामीण इलाकों में शराब पीनेवालों की संख्या बहुत तेजी से घटी है. इसकी वजह राजस्थान के जिले भर में शराबबंदी की चल रही मुहिम और शराब ठेकेदारों के खिलाफ महिलाओं के प्रदर्शन को भी माना जा रहा है.
बिक्री बढ़ाने के लिए नई दुकानें खुलेंगी
उधर आबकारी विभाग ने शराब की बिक्री बढ़ाने के लिए अब और ज्यादा संख्या में नई-नई जगहों पर शराब की दुकानें खोलने की योजना बनाई है. आबकारी विभाग के अधिकारियों को इसके लिए 10 फरवरी को उदयपुर मुख्यालय में बुलाया गया है. विभाग के उपायुक्त ओ.पी. यादव का कहना है कि अधिकारियों को सुविधा लेनी है तो तो काम करना होगा और राजस्व का लक्ष्य पाना होगा. हालांकि इसे लेकर विपक्ष और सामाजिक संगठनों ने सरकार की आलोचना की है.