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राजस्थान विधानसभा में क्रिमिनल लॉ बिल पेश, बिना इजाजत किसी अधिकारी पर नहीं होगी कार्रवाई

बीजेपी विधायक नरपत सिंह राजवी और घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि ये बिल बीजेपी के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के विरोध में लाया गया बिल है. इसलिए हम इसका समर्थन नहीं करेंगे. राजवी ने कहा कि ये बिल्कुल गलत कानून है. इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा.

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वसुंधरा राजे
वसुंधरा राजे

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राजस्थान विधानसभा के अंदर और बाहर भारी विरोध के बावजूद राजस्थान सरकार ने लोकसेवकों को संरक्षण देने वाला क्रिमिनल लॉ के संसोधन के बिल को विधानसभा में पेश कर दिया गया. राजस्थान सरकार ने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कड़ा कानून बताते हुए इसे हर हल में लागू करने का ऐलान किया तो विपक्ष ने इसे काला कानून बताते हुए जोरदार विरोध किया.

प्रशासन ने कांग्रेस के विरोध मार्च की इजाजत नहीं दी तो कांग्रेस ने गिरफ्तारियां दी. उधर बड़ी बात ये रही कि बीजेपी के दो विधायकों ने भी इस बिल का विरोध किया. लोकसेवकों का संरक्षण देने वाला बिल पेश बुधवार को पारित कर दिया जाएगा और उसके बाद मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा जाएगा. इसे पिछले सात सितंबर को अध्यादेश के जरीए राजस्थान सरकार ने लागू किया था.

इस बिल के खिलाफ कांग्रेस ने जहां सदन से वाक आउट किया वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट की अगुवाई में विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया. कांग्रेस के राजभवन तक के विरोध मार्च को पुलिस ने इजाजत नहीं दी तो सचिन पायलट की अध्यक्षता में कांग्रेस ने बजाजनगर थाने में गिरफ्तारियां दीं. सचिन पायलट ने इसे काला कानून बताते हुए कहा कि जब तक ये बिल वापस नहीं होगा तब तक हम चैन से नही बैठेंगें.

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क्या होगा इस बिल के अनुसार

1. बिना सरकार के इजाजत किसी भी पचं-सरपंच, विधायक, सांसद और अधिकारी-कर्मचारी पर कोई एफआईआर नहीं होगी.

2. बिना इजाजत के मीडिया के खबर छापने पर भी पाबंदी होगी.

3. किसी भी लोकसेवक के खिलाफ कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं करा सकता है. पुलिस भी एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती.

4. किसी भी लोकसेवक के खिलाफ कोई कोर्ट नहीं जा सकता है और न ही जज किसी लोकसेवक के खिलाफ कोई आदेश दे सकता है.

5. कोई भी मीडिया किसी लोकसेवक के खिलाफ बिना सरकार की इजजात के आरोप नहीं लगा सकता.

6. किसी भी लोकसेवक की शिकायत के पहले सरकार से इजाजत लेनी होगी. 180 दिन के अंदर सरकार के स्तर पर सक्षम अधिकारी इजाजत देगा और 180 दिन के अंदर नहीं पाया तो खुद ही इजाजत समझा जाएगा.

7. इस कानून के उल्लंघन करने वाले भी दंड के हकदार होगें. दो साल की जेल हो सकती है.

हालांकि सरकार इस बिल का बचाव कर रही है, लेकिन सदन में बीजेपी के ही दो विधायकों नरपत सिंह राजवी और घनश्याम तिवाड़ी ने इसका विरोध किया है. यहां तक विवाद बढ़ता देख खुद वसुंधरा सरकार के मंत्री सरकार के बचाव में बोलने से बच रहे हैं. उधर बीजेपी ने बिल के बचाव में पूरी पार्टी उतार दी है.

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बीजेपी के दो विधायकों ने किया विरोध

बीजेपी विधायक नरपत सिंह राजवी और घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि ये बिल बीजेपी के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के विरोध में लाया गया बिल है. इसलिए हम इसका समर्थन नहीं करेंगे. राजवी ने कहा कि ये बिल्कुल गलत कानून है. इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी का कहना है, हमारी मंशा है कि झूठे केस पर लगाम लगे इसलिए हम इसे लेकर आए हैं. 70 फीसदी झूठे केस आ रहे हैं. इस बिल के अनुसार कोई भी लोकसेवक अपनी ड्यूटी के दौरान लिए गए निर्णय पर जांच के दायरे में नहीं आ सकता है. क्रिमिनल लॉ राजस्थान अमेंडमेंट अर्डिनेंस 2017 के नाम से जारी इस आदेश में साफ तौर पर मीडिया पर गैग ऑर्डर लगा है कि किसी भी अधिकारी की पहचान वो तब तक उजागर नहीं कर सकता जब तक सरकार के स्तर पर सक्षम अधिकारी इसकी इजाजत नहीं दे.

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