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राजस्थान में सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर, डेढ़ सौ डॉक्टर गिरफ्तार

सरकार ने सख्ती जताते हुए 15 दिसंबर की रात से ही डॉक्टरों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया.

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एक डॉक्‍टर को ले जाती पुलिस
एक डॉक्‍टर को ले जाती पुलिस

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राजस्थान में सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था एक बार फिर चरमरा गई है. डॉक्टरों ने 18 दिसंबर से हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी थी, लेकिन इस बीच सरकार ने सख्ती जताते हुए 15 दिसंबर की रात से ही डॉक्टरों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया.

इससे नाराज होकर डॉक्टर दो दिन पहले यानी 16 दिसंबर से ही हड़ताल पर चले गए हैं. राज्य सरकार ने पिछले 24 घंटे के अंदर करीब डेढ़ सौ डॉक्टरों को राज्य भर में गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया है.

राजस्थान सरकार ने 14 दिसंबर को डॉक्टरी पेशा को आवश्यक सेवा अधिनियम में डालते हुए डॉक्टरों की हड़ताल पर 'रेशमा' लगा दी थी. लेकिन इसके बावजूद डॉक्टर हड़ताल पर जाने पर अड़े थे, तो राज्य सरकार ने गिरफ्तारियां शुरू कर दी. दरअसल, नवंबर के पहले सप्ताह में डॉक्‍टर अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए थे, तब राजस्थान सरकार और डॉक्टरों के बीच समझौता हुआ था. लेकिन इस बीच दिसंबर में सरकार ने हड़ताल में शामिल 12 डॉक्टर नेताओं का तबादला कर दिया.

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इससे नाराज होकर डॉक्टरों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि जब तक सभी मांगें पूरी ना हो जाए तब तक हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया. डॉक्टरों की मांग है कि मेडिकल सेवाओं में प्रशासनिक कार्यों में भी डॉक्टरों की नियुक्ति हो, न कि प्रशासनिक अधिकारियों की. साथ ही, डॉक्टरों के काम करने की अवधि 7 घंटे फिक्स की जाए और वेतनमान में बढ़ोतरी की जाए.

डॉक्टरों का कहना है कि सरकार पकड़-पकड़ कर उन्हें जेल में ठूंस रही है. हमारे पास जमानत के लिए पैसे नहीं हैं. दो-ढाई लाख रुपए कहां से लाएं, इसलिए हम जेल में उपवास करेंगे. धौलपुर, झालावाड़, बूंदी, भरतपुर समेत राज्य के करीब 20 जिलों में डेढ़ सौ डॉक्टरों को रेशमा के तहत गिरफ्तार किया है, लेकिन इसकी वजह से अस्पतालों में व्यवस्था चरमरा गई है. मरीज शहरों में तो निजी अस्पतालों में चले जा रहे हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इलाज के लिए भटक रहे हैं.

इस बीच चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने कहा है कि डॉक्‍टर अपनी मांग बंदूक की नोक पर मंगवाना चाहते हैं, लेकिन हम झुकने वाले नहीं हैं. हमने पूरी तैयारी कर रखी है. लोगों को परेशान नहीं होने दिया जाएगा और हड़ताली डॉक्टरों से सख्ती से निपटा जाएगा. सरकार और डॉक्टरों के तेवरों को देखते हुए लगता है कि मरीजों का अभी और बुरा हाल हो सकता है.

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