राजस्थान की वसुंधरा सरकार को पूर्व राजघराने के आगे झुकना पड़ गया और पुलिस-अधिकारियों के भारी बल के साथ राजमहल पैलेस के जिस दरवाजे को सील कर गार्डों की फौज तैनात की थी, उसे खोल दिया गया है.
राजस्थान की जनता के सामने यह किसी पहेली से कम नहीं है की 24 अगस्त को आनन-फानन में राजमहल के दरवाजे क्यों सीज किए गए और रविवार सुबह होने से पहले सरकार ने दरवाजे क्यों खोले दिए. इससे पहले शनिवार रात को मुख्यमंत्री निवास में दिल्ली से भेजे गए बीजेपी के केंद्रीय संगठन महामंत्री सोहदान सिंह ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ओर पूर्व राजघराने की राजमाता पद्मभनी देवी के बीच सीधे बातचीत करवाई उसके बाद मुख्यमंत्री निवास में ही राजमाता पद्मभनी देवी से ही बयान दिलाया गया कि वह वसुंधरा राजे से मिलकर संतुष्ट हैं और उन्हें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री उनकी शिकायत पर कार्रवाई करेंगी. इसके बाद लोगों ने देखा सुबह राजमहल का दरवाजा खुला हुआ था.
दरअसल राजमहल पैलेस को तोड़ने को लेकर राजघराना और वसुंधरा राजे में छिड़े जिस विवाद को बीजेपी कानूनी मामला बताकर अपना पल्ला झाड़ रही थी, उसका सियासी हल निकालने में वह दो दिनों से लगी थी. राजपूतों के आक्रोश और राजमाता की रैली को देखते हुए बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री श्योदान सिंह को लगाया था. जयपुर पहुंचते हीं श्योदान सिंह ने शुक्रवार को वसुंधरा राजे और राजकुमारी दीया सिंह को पार्टी दफ्तर में बुलाकर अलग से करीब 6 घंटे बातचीत की.
सूत्रों के अनुसार राजमहल के गेट खोलने पर सहमति तो बन गई थी, मगर वसुंधरा राजे राजघराने के आईएएस अधिकारी शिखर अग्रवाल को हटाने की मांग मानने के लिए तैयार नही है. इस बीच राजपूत संगठनों ने जयपुर बंद का एलान कर दिया था.