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राजस्थान: जनता से जुड़े कामों से हटेंगें संघ से जुड़े कर्मचारी और अधिकारी

राजस्थान सरकार अब संघ निष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों से मुक्त होगी. सरकार के मंत्रियों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से आवाज उठने लगी है कि राज्य में 3 महीने बाद ही नगर निगम, नगर पालिका और पंचायत के चुनाव होने हैं. जिसमें सरकार में बैठे संघ के प्रति समर्पित कर्मचारी कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकते हैं.

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (फोटो-IANS)
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (फोटो-IANS)

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राजस्थान सरकार अब संघ निष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों से मुक्त होगी. राजस्थान की गहलोत सरकार ने सरकार में बैठकर कांग्रेस की विचारधारा के खिलाफ काम करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को सरकार के रोजमर्रा के कामकाज से बाहर करने का फैसला किया है. इसकी शुरुआत शिक्षा विभाग से की गई जहां एक साथ 6000 संघ के प्रति समर्पित शिक्षकों का ट्रांसफर कैंसिल किया जा रहा है.

राजस्थान में सत्ता में आए कांग्रेस को 7 महीने से ऊपर हो गए. अब कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की शिकायत सरकार के पास लगातार पहुंच रही है कि पिछली सरकार के दौरान सत्ता में सर्वोच्च पर बैठे संघ और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी अब भी मुख्य जगहों से हटे नही हैं. ये लोग कांग्रेस के लिए कामकाज नहीं कर रहे हैं.

सरकार के मंत्रियों और कार्यकर्ताओं की ओर से अंदर भी आवाज उठने लगी है कि राज्य में 3 महीने बाद ही नगर निगम नगर पालिका और पंचायत के चुनाव होने हैं. जिसमें सरकार में बैठे संघ के प्रति समर्पित कर्मचारी कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकते हैं.

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लिहाजा सरकार ने तय किया है कि सभी विभागों में आरएसएस और बीजेपी की विचारधारा से जुड़े हुए लोगों की सूची बनाकर उन्हें ठंडे बस्ते के पदों पर भेजा जाएगा. हालांकि शिक्षा मंत्री कह रहे हैं कि बीजेपी शासन के दौरान गलत तरीके से संघ और बीजेपी से जुड़े हुए लोगों को मनपसंद इलाकों में ट्रांसफर दिया गया था, जिसे ठीक किया जा रहा है.

शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि तबादला इन्होंने ऑफलाइन किया है. ऑनलाइन ट्रांसफर होता है मगर संघ और बीजेपी के लोगों के लिए ऑफलाइन लगाया गया है. इन सबको वापस जाना होगा.

सरकार के इस कदम को बीजेपी ने संकीर्ण मानसिकता वाला बताते हुए राजेंद्र सिंह राठौड़, उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि संघ एक राष्ट्र निर्माण करने वाला संगठन है और उससे जुड़े लोग हर जगह हैं. सरकार संघ से जुड़े लोगों को कहां-कहां से हटाएगी. कांग्रेस संकीर्ण मानसिकता से ग्रसित है.

दरअसल गहलोत सरकार ने सत्ता में आने के बाद से ही गांधी और नेहरू के विचारधारा को आम जनता तक ले जाने के लिए प्रयास शुरू कर दिया था. लोकसभा चुनाव में हार के बाद अब अलग से सरकारी विभाग का गठन किया है, जिसमें सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की बड़ी भूमिका होने वाली है.

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ऐसे में सरकार चाहती है कि कांग्रेस की विचारधारा के प्रति नरम रुख करने वाले सरकारी कर्मचारियों को अगर अच्छे जगह पर रखा जाए तो गांधी और नेहरू की विचारधारा को जनता के बीच प्रभावी ढंग से फैलाया जा सकता है.

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