राजस्थान में राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर कहा है कि इसके लिए संवैधानिक तौर-तरीकों का पालन किया जाना चाहिए. राजभवन की तरफ जारी बयान में कहा गया है कि राज्यपाल सत्र बुलाने पर सहमत हैं. मगर संवैधानिक तौर तरीकों के अनुसार विधानसभा का सत्र बुलाया जाना चाहिए. राज्यपाल ने सत्र बुलाने के लिए अशोक गहलोत सरकार के सामने तीन बिंदु रखते हुए फिर से जवाब मांगा है.
राज्यपाल कलराज मिश्रा ने कहा है कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल बुलाया जाना चाहिए. राज्य सरकार ने 31 जुलाई से विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव भेजा है.
जारी बयान में कहा गया है कि कैबिनेट के प्रस्ताव पर राज्यपाल ने कानूनी सलाह ली. संविधान के अनुच्छेद 174 (1) के अंतर्गत राज्यपाल साधारण परिस्थितियों में कैबिनेट की सलाह पर काम करेंगे, लेकिन परिस्थितियां विशेष हों तो वह यह सुनिश्चित करेंगे कि संविधान की भावना के अनुरूप काम हो.
राज्यपाल का कहना है कि मीडिया में राज्यसरकार के बयान से यह स्पष्ट हो रहा है कि राज्य सरकार विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है. लेकिन सत्र बुलाने के प्रस्ताव में इसका कोई उल्लेख नहीं है. यदि राज्य सरकार विश्वास मत हासिल करना चाहती है तो यह अल्प अवधि में सत्र बुलाए जाने का युक्तियुक्त आधार बन सकता है.
राजभवन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि चूंकि परिस्थितियां असाधारण हैं, इसलिए राज्य सरकार को तीन बिंदुओं पर कार्य करने की सलाह दी जाती है.
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1. विधानसभा का सत्र 21 दिन का क्लीयर नोटिस देकर बुलाया जाए जिससे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अंतर्गत प्राप्त मौलिक अधिकारों के अनुसार सभी को अपनी बात रखने का पूरा अवसर मिले.
2. यदि किसी परिस्थिति में विश्वासमत हासिल करने की विधानसभा सत्र में कोशिश की जाती है तो सभी प्रक्रिया संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव की उपस्थिति में की जाए. पूरी प्रक्रिया के दौरान वीडियो रिकॉर्डिंग की जाए.
3. विधानसभा सत्र के दौरान क्या ऐसी व्यवस्था है जिसमें 200 विधायक, 1000 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी एक साथ एकत्रित हो सकें जिसमें संक्रमण का डर न हो. राज्य विधानसभा में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए इतने लोगों के बैठने की व्यवस्था नहीं है. जबकि संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम और केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए. राज्यपाल ने कहा है कि इन नियमों का पालन करते हुए विधानसभा का सत्र बुलाया जाना चाहिए.
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पहले प्रस्ताव ठुकरा दिया था
बता दें कि राजस्थान सरकार की कैबिनेट ने 31 जुलाई को विधानसभा का सत्र बुलाने का प्रस्ताव भेजा है. इससे पहले राज्यपाल ने उनके इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया था. राज्यपाल ने ये कहते हुए सत्र का प्रस्ताव खारिज किया था कि जो सवाल पूछे गए थे, उनका जवाब नहीं दिया गया है. अशोक गहलोत सरकार ने कोरोना पर अहम चर्चा के बहाने सत्र का प्रस्ताव दिया था.