राजस्थान सरकार की ओर से विमान खरीदने के टेंडर रद्द किए जाने के बाद अब आठ करोड़ के किराए पर विमान लेने के फैसले को भी झटका लगा है. विवाद बढ़ता देख सरकार ने टेंडर ही रद्द कर दिए हैं. राजस्थान सरकार के सूत्रों के अनुसार कोई भी विमानन कंपनी सरकार के तय मानदंडों के मुताबिक जेट विमान देने को तैयार नहीं है, लिहाजा टेंडर को रद्द कर अब उससे कम क्षमता और सहुलियतों वाले जेट के लिए टेंडर किया जा रहा है. पिछले तीन सालों से किसी न किसी विवाद की वजह से वसुंधरा राजे के विमान खरीदने या लीज पर लेने की कोशिशों को झटका लग रहा है.
दरअसल राजस्थान सरकार ने जिन जेट विमानों के लिए टेंडर किया था उनकी शर्तें काफी कठिन थीं . सरकार ने ऐसे विमान चाह रही थी जो देश के प्रधानमंत्री के विमान से भी बेहतर हो और एक उड़ान में यूरोप तक की यात्रा कर सके. इसका टेंडर जारी किया तो उसकी शर्तों को लेकर विवाद बढ़ गया था. विवाद इसलिए भी था कि कम से कम 3200 न्यूटिकल माइल की दूरी तय करने और 41,000 फीट की ऊंचाई पर फ्लाई करने की शर्त क्यों रखी गईं. शर्तों से सवाल उठा कि क्या मुख्यमंत्री अपने ही विमान से विदेश दौरे पर जाएंगी. ऐसे विमान के किराये को लेकर बवाल मचा हुआ है कि आखिर राजस्थान सरकार 24 घंटे संगानेर एयरपोर्ट पर उपलब्ध रहने वाले इस विमान पर 8 करोड़ महीने कहां से खर्च करती है.
हालांकि राजस्थान सरकार के सिविल एविएशन विभाग की तरफ कहा गया है कि विमान के लिए शर्तें सरकार ने नहीं एक्सपर्ट कमेटी ने तय की थीं. सरकार विमान केवल मुख्यमंत्री के लिए हीं बल्कि राजस्थान में टूरिज्म को प्रमोट करने के लिए भी ले रही थी जो इमरजेंसी में विदेशी टूरिस्टों के उपयोग में भी आ सकते हैं.
अगस्ता वेस्टलैंड के साथ करार
अक्टूबर में राजस्थान सरकार ने विमान खरीदने का टेंडर निकाला था लेकिन टेंडर में सिर्फ अगस्ता कंपनी के नाम से टेंडर होने की वजह से बवाल मचा तो टेंडर ही रद्द करना पड़ा था. वसुंधरा राजे ने ही अपने पिछले कार्यकाल में अगस्ता वेस्टलैंड का हेलीकॉप्टर खरीदा, जिसे लेकर सीएजी ने सरकारी पैसे के नुकासन की रिपोर्ट दी थी. वो विमान अशोक गहलोत सरकार के दौरान बर्ड हिट से डैमेज होकर स्टेट हैंगर में बेकार पड़ा है.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट का कहना है राजस्थान सरकार एक तरफ शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सेवाओं तक में ये कहकर कटौती कर रही है कि उसके पास पैसे नहीं है तो विमान के किराए पर खर्च करने के लिए पैसे कहां से आएंगे. पैसे की कमी की वजह से पिछले तीन सालों में बीजेपी सरकार ने 20 हजार 500 स्कूल बंद किए हैं. राज्य के 11000 स्कूलों में एक टीचर हैं, 82 हजार टीचरों के पद खत्म किया गया है और 40 हजार टीचरों के पद खाली हैं.