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करौली हिंसा: उपद्रवियों के सामने 15 मुस्लिमों के लिए 'ढाल' बन गई हिंदू महिला

राजस्थान में करौली (Rajasthan Karauli) हिंसा का दिल दहला देने वाला वाकया सामने आया था. दरअसल, एक हिंदू महिला ने मॉल में किराए पर दुकानें चलाने वाले 15 मुस्लिम दुकानदारों को भीड़ से बचा लिया. मधुलिका राजपूत मॉल के मालिक की बहन हैं.

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जानकारी देते मॉल के मालिक संजय सिंह व उनकी बहन मधुलिका राजपूत. (Photo: Aajtak)
जानकारी देते मॉल के मालिक संजय सिंह व उनकी बहन मधुलिका राजपूत. (Photo: Aajtak)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राजस्थान के करौली में हिंसा का मामला
  • हिंदू महिला ने 15 मुस्लिम युवकों को उपद्रवियों से बचाया

राजस्थान के करौली (Rajasthan Karauli) में नव संवत्सर पर शोभायात्रा के दौरान पथराव के बाद आगजनी और लूटपाट की घटना हो गई थी. इसी दौरान घटनास्थल से 600 मीटर की दूरी पर लगभग 15 मुस्लिम युवक सिटी मॉल में अपनी दुकानें बंद कर वहीं फंस गए. बाहर उपद्रव हो रहा था. सिटी मॉल के मालिक संजय सिंह की बहन मधुलिका राजपूत ने हिम्मत दिखाई और इंसानियत के नाते सभी दुकानदारों को अपने कमरे में ले गईं. मॉल के आगे उपद्रवी पूछ रहे थे कि यहां कोई छिपा तो नहीं है. मधुलिका ने मॉल के अंदर से ताला लगा दिया. जब उपद्रव शांत हो गया तो सभी दुकानदार अपने-अपने घर चले गए. 

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हिंदू नव संवत्सर की शोभायात्रा पर एक समुदाय विशेष की ओर से पथराव के बाद शहर में आगजनी और हिंसा हो रही थी, ऐसे में मधुलिका राजपूत ने अपने मॉल के सभी हिंदू-मुस्लिम दुकानदारों को बाहर जाने से रोका. इसी दौरान मधुलिका के भाई संजय सिंह पहुंचे और उन्होंने सभी मुस्लिम युवकों से कहा कि सब कुछ ठीक हो जाएगा, आप सभी यहां सुरक्षित हैं. करीब ढाई घंटे बाद सभी के परिजन आए और एक-एक कर सभी अपने घर चले गए.

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दुकानदार दानेश का कहना है कि घटना की जानकारी लगते ही सामान जल्दी-जल्दी रखा, दुकान में ताले भी नहीं लगा पाए. कुछ समझ पाते, उससे पहले ही गली में भीड़ नजर आई, जिसे देखकर वापस मॉल में आ गए. ऊपर से दीदी आईं, उन्होंने कहा कि सभी ऊपर जाकर कमरे में बैठो, मैं संभालती हूं. तालिब खान, समीर खान बुडेरा बाजार के रहने वाले हैं, इनका कहना है कि दीदी की वजह से हमें सुरक्षित जीवन मिल सका.

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उन्होंने कमरे में ले जाकर हम सबको चाय पिलाई, बैठाए रखा, घरवालों से बात की. सबको दिलासा दिलाई. हम सब ठीक हैं. सब कुछ शांत होने के बाद हम घर पहुंच गए. अचानक हुए घटनाक्रम से कुछ समझ नहीं पाए, इसलिए दुकानों की शटर तो खींच दी, ताले नहीं लगा पाए, लेकिन दीदी ने मॉल का गेट बंद करके सभी को बचा लिया.

'बाहर शोर-शराबा था, दुकानदार अंदर लौट आए, उन्होंने कहा.. दीदी हमें बचा लो'

मॉल के मालिक संजय सिंह की बहन मधुलिका राजपूत ने कहा कि उस दिन जब भगदड़ मची थी तो सारे दुकानदार अपने-अपने शटर डाउन कर बाहर जाने को थे, लेकिन बाहर जो शोर-शराबा था, उसकी वजह से अंदर लौट आए. उन्होंने कहा कि दीदी हमें बचा लो. तब मैं अपनी दुकान पर थी. मैं बाहर निकली. उन लोगों को ऊपर ले गई. सभी दुकानदारों को कमरे में बैठाने के बाद गेट का ताला बंद कर दिया. बाहर का कोई आदमी अंदर नहीं आ सकता था. गेट का ताला बाहर से बंद कर दिया था. यह घटना 5:30 बजे से 5:45 बजे के बीच की है. जब मामला शांत हो गया, तब सभी दुकानदार 9 बजे अपने घर चले गए. मधुलिका ने कहा कि मैंने यहां सबको इंसानियत के नाते कमरे में रखा. मैं 5 साल से दुकान चलाती हूं.

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'हमें डर लग रहा था कि हमारे साथ कुछ हो न जाए'

घटना की जानकारी देते दुकानदार.

दुकानदार दानिश ने कहा, 'दुकान की पेंटिंग चल रही थी. अचानक भगदड़ मची और बाहर जाकर देखा कि लोग इधर-उधर भाग रहे थे. बाहर जाकर पता चला की रैली पर पथराव हुआ है, इसलिए भगदड़ मची हुई है. इसके बाद हमने दुकान बंद कर दी. सारा सामान बाहर निकला था. काउंटर पर कपड़े फैले थे. बाहर जाकर देखा तो रैली में गमछा डाले लोग खड़े थे. भीड़ बहुत थी. हम मुसलमान थे, हमें डर लग रहा था कि हमारे साथ कुछ हो न जाए. इसलिए अंदर आ गए. इसके बाद मॉल की मालिक ने हमें ऊपर बुलाया और अपने कमरे में बैठाया. एक घंटे तक वहीं बैठे रहे. उन्होंने कहा कि आप यहां से शेफ हैं, शांति से बैठे रहें. हम यही सोच रहे थे कि हम बचेंगे या नहीं.'

आरिफ ने कहा कि दुकान में काम चल रहा था. कुछ लोग पत्थरबाजी कर रहे थे. दीदी ने उन्हें मॉल में घुसने नहीं दिया. दीदी ने कहा कि कोई टेंशन मत करो, तब हमें तसल्ली मिली कि कोई तो है.

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