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राजस्थान निकाय चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत, गहलोत बोले- जनता समझदार

राजस्थान में हुए स्थानीय निकाय के चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को बड़ी मात दी है. राज्य के 49 शहरी स्थानीय निकायों में चुनाव हुए थे. इसमें से 23 में कांग्रेस ने बाजी मारी है. शहरी इलाकों में बीजेपी की हमेशा से बेहतर स्थिति रही है, मगर इस बार कांग्रेस ने शहरी इलाकों में भी अपनी स्थिति मजबूत कर ली है.

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (फोटो-PTI)
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (फोटो-PTI)

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  • 49 शहरी स्थानीय निकायों में हुए थे चुनाव
  • 23 निकायों में जीत से कांग्रेस का बजा डंका

राजस्थान में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को बड़ी मात दी है. राज्य के 49 शहरी स्थानीय निकायों में चुनाव हुए थे. इसमें से 23 में कांग्रेस ने बाजी मारी है. शहरी इलाकों में बीजेपी की हमेशा से बेहतर स्थिति रही है, मगर इस बार कांग्रेस ने शहरी इलाकों में भी अपनी स्थिति मजबूत कर ली है.

स्थानीय मुद्दों पर पड़े वोट

सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या पर आए फैसले के आलोक में इस चुनाव को देखा जा रहा था और बीजेपी मानकर चल रही थी कि खासकर शहरी इलाकों में अयोध्या फैसले का असर दिखेगा. मगर जिस तरह का परिणाम आए हैं उससे यही लगता है कि इन चुनावों में अयोध्या और अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों के बजाय लोगों ने स्थानीय मुद्दों पर वोट डाले हैं.

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हालांकि बड़े शहरों में केवल तीन नगर निगमों में चुनाव हुए थे. इसमें से उदयपुर में बीजेपी ने अपना बोर्ड बना लिया है जबकि बीकानेर और भरतपुर में बीजेपी को कांग्रेस से ज्यादा सीटें आई हैं. भरतपुर में तो दोनों ही पार्टियों से ज्यादा निर्दलीय जीते हैं. इसी तरह से 17 नगर परिषद के चुनाव को देखे तो इनमें से 11 पर कांग्रेस आगे रही है और 4 पर बीजेपी जीती है जबकि दो पर निर्दलीय ने जीत हासिल की है.

29 नगर पालिकाओं में से 20 से ज्यादा जगहों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है जबकि बीजेपी के हाथ केवल छह नगरपालिका गई है. स्थानीय निकाय चुनाव में 2105 वार्ड थे. इसमें से कांग्रेस ने 961 वार्ड जीते हैं और बीजेपी ने 737 वार्ड जीते हैं. बाकी पर 386 निर्दलियों ने कब्जा जमाया है. इन चुनावों में 16 वार्ड पर बसपा ने भी जीत दर्ज की है.

जनता समझदार-अशोक गहलोत

इन चुनावों से गदगद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जनता समझदार है और वह इधर-उधर के मुद्दों के बजाय कामकाज पर वोट किया है. गहलोत ने उम्मीद जताई कि बीजेपी का घमंड टूटेगा कि गलत मुद्दों पर देश को ले जाकर मतदाताओं को बरगला सकते हैं.

प्रदेश कांग्रेस के दफ्तर में काफी दिनों बाद मिठाइयां बांटी गई और आतिशबाजी हुई. गहलोत के साथ आधा दर्जन मंत्री भी प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे. उधर उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी उदयपुर में कांग्रेस की जीत को कार्यकर्ताओं की जीत बताया है.

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बीजेपी मुख्यालय में सन्नाटा

मगर इसके विपरीत बीजेपी मुख्यालय में सन्नाटा पसरा रहा. कोई भी नेता स्थानीय निकाय चुनाव के परिणामों पर जवाब देने के लिए मौजूद नहीं था. चुनाव से ठीक पहले सतीश पूनिया को बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. ऐसे में माना जा रहा है कि पूनिया अपनी अग्नि परीक्षा में फेल हो गए हैं. इन परिणामों के बाद वसुंधरा राजे का खेमा कह रहा है कि राजस्थान में बीजेपी को वापस लड़ाई में लानी है तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करिश्मे के बिना संभव नहीं है.

गहलोत खेमा गदगद

कांग्रेसी खेमे में भी गहलोत खेमा गदगद हो रहा है क्योंकि माना जा रहा था कि अगर कांग्रेस हारती है तो उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट इसका ठीकरा गहलोत पर फोड़ सकते थे. चुनाव परिणाम के आते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली रवाना हो गए. कहा जा रहा है कि वह पंचायत चुनाव से पहले राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाओं पर भी कांग्रेस आलाकमान से चर्चा करेंगे.

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