बीजेपी के पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह की बहू और बीजेपी विधायक मानवेंद्र सिंह की पत्नी चित्रा सिंह ने घूंघट से राजस्थान की वसुधरा राजे सरकार पर सीधा हमला किया है. चित्रा सिंह ने कहा कि उखाड़ फेंको ऐसी सरकार को जो स्वाभिमान की रक्षा नहीं करती है. उन्होंने आगे कहा कि अब युद्ध को खत्म करने का समय आ गया है.
यही नहीं, जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र ने 22 सितंबर को स्वाभिमान रैली पचपदरा में करने का एलान किया है. मानवेंद्र इन दिनों एक के बाद एक सभाएं कर रहे हैं तो वहीं उनकी पत्नी चित्रा सिंह बाडमेर और जैसलमेर में सभा कर राजे सरकार को उखाड़ फेकने का एलान कर रही हैं.
मारवाड़ के बीजेपी के कद्दावर नेता जसवंत सिंह का जिक्र करते हुए चित्रा ने कहा कि जिसने भाजपा को खड़ा किया उसका टिकट काट दिया था. जो लड़ाई 2014 के चुनाव में शुरू हुई थी उसको ख़त्म करने का समय आ गया है.
बाडमेर में युवा आक्रोश रैली में मानवेंद्र सिंह की पत्नी ने कहा कि वसुंधरा राजे यात्रा गौरव यात्रा निकाल रही हैं लेकिन किस बात का गौरव है. पांच साल पहले सुराज यात्रा निकाली थी लेकिन इन 5 सालों के दौरान बाडमेर और जैसलमेर के निर्दोष लोगों को झूठे मुकदमे में फंसाया गया. फिर किस बात की गौरव यात्रा है. उन्होंने आगे कहा कि ऐसी सरकार को हमें आने वाले दिनों में उखाड़ फेंकना है.
चित्रा सिंह ने कहा कि आने वाले दिनों में स्वाभिमान रैली होने जा रही है. इसके अंदर आप लोग अधिक से अधिक आएं और हम यह सरकार वसुंधरा राजे को बताना चाहते हैं कि यहां के लोग स्वाभिमानी हैं. यहां के लोगों के साथ अत्याचार होगा तो उसके खिलाफ आवाज उठेगी. खबरें आ रही हैं कि आने वाले दिनों में मानवेंद्र सिंह भाजपा का दामन छोड़ कर कांग्रेस में जा सकते हैं. लेकिन अभी तक मानवेंद्र ने पुष्टि नहीं की है. उनका कहना है कि इस बात का एलान स्वाभिमान रैली में उनके समर्थकों के साथ करेंगे. वहां जो निर्णय लेंगे, वह उनको मान्य होगा. स्वाभिमान रैली को लेकर मारवाड हीं नहीं पूरे राजस्थान में चर्चा का विषय है.
गौरतलब है कि वसुंधरा राजे जब बाडमेर और जैसलमेर की यात्रा पर गौरव यात्रा के दौरान गई थीं तो उस वक्त मानवेंद्र सिंह साथ नहीं थे. जबकि मानवेंद्र सिंह बीजेपी के टिकट पर शिव विधानसभा सीट से विधायक हैं . उस दौरान वसुंधरा राजे जैसलमेर में क्षत्राणी सम्मेलन करना चाहती थीं ताकि नाराज राजपूतों को मनाया जाए लेकिन चित्रा सिंह के विरोध की वजह से क्षत्राणी सम्मेलन रद्द करना पड़ा था.