राजस्थान के बाड़मेर जिले के पचपदरा रिफाइनरी के पास सांभरा इलाके में गहलोत सरकार के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने महज 24 घंटे में अस्थाई कोविड-19 बनाकर प्रशासन को सुपुर्द कर दिया था. जिसके बाद पूरे राजस्थान में इस बात की वाहवाही हो रही थी. लेकिन अब इस बात को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है. सामरा गांव के रहने वाले 2 परिवारों ने मंत्री पर गंभीर आरोप लगाए हैं. पीड़िता के मुताबिक उनके बने हुए कच्चे मकानों को रातों-रात तोड़ दिया गया और अब इस मामले में वह पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाना चाहते हैं. लेकिन पुलिस उनकी सुन नहीं रही है.
हुकम सिंह के अनुसार तीनों के कच्चे कमरे में एक झोपड़ा बना हुआ था. जिसको रातों-रात तोड़ दिया गया. उमेद सिंह का आरोप है कि उसका एक कच्चा कमरा और कच्चा झोपड़ा बना हुआ था उसे तोड़ दिया गया है. अब उनकी कोई सुनने वाला नहीं है.
वहीं इस पूरे मामले पर राजस्व मंत्री हरीश चौधरी का कहना है कि जिन लोगों को विवाद खड़ा करना है, वह विवाद खड़ा करें. फिलहाल राजनीति का वक्त नहीं है. इन सब बातों पर बाद में भी चर्चा हो सकती है. अगर किसी को कोई आपत्ति है तो उसके लिए मैं जिम्मेदार हूं.
और पढ़ें- तारक मेहता के टप्पू भाव्या गांधी के पिता का कोरोना से निधन
गौरतलब है कि राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने 24 घंटे में 25 बेड का अस्पताल रेगिस्तान के दोनों के बीच बना कर प्रशासन के सुपुर्द कर दिया था. जिसके बाद लगातार वहां पर लोगों का इलाज किया जा रहा है. अब इसी बात को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.
बता दें, राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने निजी आय से 5 लाख की राशि देकर काम शुरू करवाया है. मंत्री हरीश चौधरी के निर्देश मिलते ही युद्ध स्तर पर काम शुरू कर दिया गया था और चंद घंटों में अस्थाई अस्पताल बनाकर तैयार कर दिया था.
राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि कोरोना हालात के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ऐलान किया है कि पार्टी सभी कार्य को छोड़कर महामारी से लड़ने के लिए कदम उठाए. उनकी इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए और बाड़मेर की जनता के विश्वास के साथ इस कार्य को शुरू किया था.