राजस्थान के तीनों बड़े शहरों जयपुर, जोधपुर और कोटा को एक साल बाद शहरी सरकार मिल ही गई. छह नगर निगमों के लिए मंगलवार को आए चुनाव नतीजे कांग्रेस के लिए उत्साहित करने वाले रहे जबकि बीजेपी को झटका लगा है. बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले कोटा के उत्तर नगर निगम में कांग्रेस अपना मेयर बनाने की स्थिति में है जबकि दक्षिण में बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला टाई रहा है और निर्दलीय किंगमेकर बनकर उभरे हैं, जिन्हें साधने के लिए दोनों पार्टियों ने अपनी-अपनी कवायद तेज कर दी हैं.
नगर निगम के चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ा झटका कोटा में लगा है. कोटे का शहरी इलाका बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है, लेकिन यहां की दोनों नगर निगम में कांग्रेस सेंध लगाने में कामयाब रही है. यहां पिछली बार की अपेक्षा इस बार के चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है और बीजेपी अपने दुर्ग को बचाने में सफल नहीं रही.
कोटा उत्तरी नगर निगम की 70 में से 47 सीटें कांग्रेस, 14 बीजेपी और 9 सीटें अन्य को मिली हैं. इस तरह से कोटा के उत्तरी इलाके कांग्रेस का मेयर बनना तय है. वहीं, कोटा के दक्षिण नगर निगम चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच बराबरी का मुकाबला रहा. यहां की 80 नगर निगम सीटों में से 36 कांग्रेस, 36 बीजेपी और 8 निर्दलीय जीते हैं.
नगर निगम कोटा दक्षिण के चुनाव परिणाम में बीजेपी के पिछले नगर निगम बोर्ड के कई दिग्गज धराशाई हो गए, जिनमें प्रमुख बीजेपी के पिछले बोर्ड की उपमहापौर सुनीता व्यास का नाम है. इसके अलावा कई पार्षदों को भी हार का सामना करना पड़ा है, जिनमें पूर्व पार्षद नरेंद्र सिंह हाड़ा ,विनोद नायक, निर्वतमान पार्षद प्रकाश सैनी की पत्नी और नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड कोटा के उपाध्यक्ष हेमराज सिंह हाड़ा चुनाव हार गए. इसी तरह राजरानी कम्प्यूटर संस्थान के मुखिया क्षेत्रपाल सिंह और बीजेपी युवा मोर्चा के पूर्व जिला अध्यक्ष महीप सिंह सोलंकी भी चुनाव नहीं जीत पाए.
दक्षिण नगर निगम में निर्दलीय किंगमेकर बनकर उभरे हैं और वो कांग्रेस या बीजेपी में जिसके भी साथ जाएंगे मेयर उसी पार्टी का बनना तय है. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी दक्षिण में अपने-अपने पार्षदों की साधकर रखने के साथ-साथ निर्दलीय पार्षदों को भी साधने में जुटी है. ऐसे में मेयर के लिए कांग्रेस और बीजेपी के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गाय है. कांग्रेस की ओर से जिलाध्यक्ष रविन्द्र त्यागी और प्रवक्ता राजेंद्र सांखला ने कमान संभाल ली है और निर्दलीय पार्षदों को अपने खेमे में लाने की कोशिशें तेज कर दी हैं.
कोटा नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की जीत की भूमिका प्रदेश के शहरी विकास मंत्री शांति धारीवाल की रही है. उन्होंने ने ही राजस्थान के नगर निगम को दो हिस्सों में बांटने का दांव चला था. इसी का नतीजा है कि बीजेपी का परंपरागत गढ़ कहे जाने वाले कोटा उत्तर में कांग्रेस को जीत मिली है. मंत्री शांति धारीवाल बुधवार को गृहनगर कोटा पहुंचेगे, जहां दोनों निगमों के अपनी मेयर और उपमेयर के लिए सियासी बिसात बिछाने की कवायद करेंगे. ऐसे में देखना है कि कोटा के दक्षिणी नगर निगम में कौन सत्ता पर काबिज हो पाएगा?