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राजस्थान निकाय चुनाव में कांग्रेस का परचम, 49 में से 37 निकायों में फतह, हारी भाजपा

महाराष्ट्र में सरकार बनाने के बाद बेआबरू होकर सत्ता गंवाने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए राजस्थान में निकाय चुनाव के परिणाम निराशाजनक रहे. निकाय चुनाव में कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया. प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी कुल 49 में से 37 निकायों में अपने चेयरमैन या मेयर बनाने में सफल रही.

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (फाइल फोटोः PTI)
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (फाइल फोटोः PTI)

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  • 49 निकायों में से 37 में कांग्रेस ने जीता चेयरमैन का चुनाव
  • तीन जगह बराबर रहे वोट, लॉटरी से हुआ फैसला

महाराष्ट्र में सरकार बनाने के बाद बेआबरू होकर सत्ता गंवाने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए राजस्थान में निकाय चुनाव के परिणाम निराशाजनक रहे. निकाय चुनाव में कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया. प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी कुल 49 में से 37 निकायों में अपने चेयरमैन या मेयर बनाने में सफल रही. तीन निकायों में दोनों दलों को बराबर वोट मिले, जिसके बाद फैसला लॉटरी से करना पड़ा.

लॉटरी से जिन तीन सीटों का फैसला हुआ, उनमें से दो सीटों नसीराबाद और उदयपुर में कांग्रेस का बोर्ड बना. वहीं एक सीट छाबड़ा भाजपा के पाले में गई. उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के लिए भी बड़ी राहत की खबर आई. टोंक में भी कांग्रेस का बोर्ड बन गया, जहां पर कांग्रेस के मात्र 24 पार्षद जीते थे जबकि 36 पार्षदों ने कांग्रेस के लिए वोट किया. पुष्कर में एक वोट से भाजपा अपना बोर्ड बनाने में सफल रही, वहीं बांसवाड़ा के प्रतापपुरा में एक वोट से पहली बार भाजपा ने जीत हासिल की.

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कई निकायों में कांग्रेस को एकतरफा सफलता

झुंझुनू ,अलवर, सीकर, नागौर और चित्तौड़गढ़ में कांग्रेस को एकतरफा सफलता मिली. इन सभी स्थानों पर कांग्रेस अपना चेयरमैन बनाने में सफल रही. नगर निगम के तीन जगह चुनाव हुए थे और तीनों में भाजपा को अच्छी बढ़त मिली थी लेकिन भरतपुर में निर्दलीयों और और दूसरी जगह से पार्षदों को तोड़कर कांग्रेस अपना मेयर बनाने में सफल रही.

लोकसभा चुनाव हार गए थे जाटव

लोकसभा चुनाव में सांसद का चुनाव लड़ रहे अभिजीत जाटव कांग्रेस के टिकट पर चुनाव हार गए थे, लेकिन वह भरतपुर में मेयर का चुनाव जीत गए. इसी तरह से बीकानेर में पहली बार भाजपा की महिला मेयर बनी हैं तो उदयपुर में भी भाजपा ने मेयर का पद हासिल किया है. स्थानीय निकाय के चुनाव से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कद बढ़ा है .

शहरी इलाकों में माना जाता है कि भाजपा के वोटर ज्यादा हैं, इसके बावजूद कांग्रेस ने अच्छी सफलता पाई है. भाजपा ने चुनाव के दौरान धारा 370 और अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी खूब प्रचारित किया, लेकिन यह भी काम नहीं आया.

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