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नियमों में फंसा नवजात का भविष्‍य, मां-बाप के साथ नहीं जा पा रहा पाकिस्‍तान

कानून का निर्माण लोगों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के लिए होता है. लेकिन इसे नियमों की त्रासदी ही कहेंगे कि महज दो महीने पहले पाकिस्तान से भारत आई एक महिला आज अपने वतन वापसी के लिए कानूनी पचड़े में फंस गई है. महिला का 'दोष' सिर्फ इतना है कि उसने जैसलमेर में अपने जिगर के टुकड़े को जन्‍म दिया है.

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बासनपीर निवासी रसीद खान
बासनपीर निवासी रसीद खान

कानून का निर्माण लोगों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के लिए होता है. लेकिन क्‍या हो जब यही कायदा कानून मानवीय रिश्‍तों और संवेदनाओं पर भाड़ी पड़ने लगे. खासकर तब जब निशाने पर वह हो जिसकी उम्र महज 10 दिन है. इसे नियमों की त्रासदी ही कहेंगे कि महज दो महीने पहले पाकिस्तान से भारत आई एक महिला आज अपने वतन वापसी के लिए कानूनी पचड़े में फंस गई है. महिला का 'दोष' सिर्फ इतना है कि उसने जैसलमेर में अपने जिगर के टुकड़े को जन्‍म दिया है.

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दरअसल, बच्‍चे का जन्‍म और वतन वापसी की कवायद नियमों में उलझ गई है. जैसलमेर में जन्मे बच्‍चे को अब उसकी मां के साथ पाकिस्‍तान जाने नहीं दिया जा रहा है, क्‍योंकि 10 दिन के इस बच्चे का ना तो वीजा है और ना ही पासपोर्ट. जबकि पाकिस्तानी दंपति के भारत में जन्मा यह बच्चा नियमानुसार पाकिस्तानी ही कहलाएगा. शुक्रवार रात थार एक्सप्रेस से रवाना हुए दंपति के बच्चे को शनिवार को मुनाबाव में रोक कर वापिस लौटा दिया गया है.

मुनाबाव में तैनात आबजन अधिकारियों के मुताबिक, नियमों के आधार पर दंपति को 10 दिन के बच्चे को भारत में छोड़कर पाकिस्तान जाना होगा. पाकिस्तानी दंपति रविवार को जोधपुर पहुंचे और फिर पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारी बच्चे के वीजा-पासपोर्ट के लिए नई दिल्ली रवाना हो गए.

क्‍या और कैसे उलझा है मामला
जैसलमेर के बासनपीर निवासी रसीद खान ने बताया कि उनकी नजदीकी रिश्‍ते में दोहिती मरई फातिमा (35) अपने पति मीर मोहम्मद लहर जो पाकिस्‍तान के घोटकी के रहने वाले हैं, 22 फरवरी को मुनाबाव मार्ग से जैसलमेर आई थी. उसके पिता का देहांत होने पर वह अपनी मां से मिलने आई थी. हालांकि उनका वीजा सिर्फ डेढ़ माह का ही था लेकिन बाद में उसे एक्सटेंड करवाया गया था.

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असल में फातिमा जब भारत आई थी तब वह गर्भवती थी. 14 अप्रैल को उसने जैसलमेर के एक निजी अस्‍पताल में बेटे को जन्‍म दिया. अस्‍पताल के रेकॉर्ड में स्थानीय नगर परिषद द्वारा सोहेल खान पुत्र मीर मोहम्मद व फातिमा के नाम से बर्थ सर्टिफिकेट भी जारी किया गया. दंपति परिवार शुक्रवार को थार एक्सप्रेस से पाकिस्तान के लिए रवाना हुए, लेकिन शनिवार को उन्हें नवजात के साथ पाकिस्तान जाने से रोक दिया गया. वहां तैनात आबजन अधिकारियों ने उन्हें बताया गया कि बच्चे के पास किसी प्रकार का वीजा पासपोर्ट नही हैं इसलिए वे उसे पाकिस्तान नहीं ले जा सकते.

अब क्‍या हो सकता है आगे
नियमों के मुताबिक अब यदि दंपति को पाकिस्तान जाना हैं तो उन्‍हें बच्चे को यही छोड़ना होगा, क्‍योंकि बच्‍चे के पास वीजा या पासपोर्ट नहीं है. लेकिन समस्‍या यह है कि दंपति 10 दिन के नवजात को भारत में किसके भरोसे छोड़ कर जाए. रशीद खान ने बताया कि फातिमा जब भारत आई थी तब वह 7 महीने की गर्भवती थी.

दूसरी ओर, नगर परिषद के आधिकारिक सूत्रों ने दंपति के भारत में जन्मे बच्चे सोहेल खान के नाम बर्थ सर्टिफिकेट जारी करने की पुष्टि की है. अधिकारियों ने बताया कि अस्‍पताल ने उन्हें रिकॉर्ड व वीजा पासपोर्ट की कॉपी के आधार पर सीरियल नम्बर 1352, दिनांक 21 अप्रैल 2014 को बर्थ सर्टिफिकेट जारी किया गया है. दंपति का वीजा 6 मई को समाप्त हो रहा है.

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