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राजस्थान: पाली में कोरोना से मौत के आंकड़ों में खेल, सिर्फ RT-PCR पॉजिटिव केसों की ही गिनती

पाली जिले में कोरोना से केवल 232 मरीजों की मौत सरकारी रिकॉर्ड में दिखाई गई है, जबकि शहर के एक अस्पताल में ही औसतन हर रोज 10 से 12 मौतें हो रही है. पाली के डीएम भी आंकड़ों की गलतियों को स्वीकार कर रहे हैं.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राजस्थान के पाली जिले से ग्राउंड रिपोर्ट
  • कलेक्टर ने स्वीकारी आंकड़ों की गलती

राजस्थान की राजधानी जयपुर से करीब 270 किलोमीटर दूर एक छोटे से जिले पाली में कोरोना की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. पाली शहर में तीन कोविड केंद्र हैं, उनमें से सबसे बड़ा बांगड़ सरकारी अस्पताल है, जिसका बड़ा हिस्सा पूरी तरह से कोविड रोगियों के उपचार केंद्र में बदल दिया गया है.

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रोजाना  एक के बाद एक पीपीई में लिपटे कोविड मरीजों के शव दाह संस्कार के लिए एंबुलेंस में बांगड़ सरकारी अस्पताल से निकलते हैं. जहां तक ​​​​कोविड की मौतों का संबंध है, पाली की जमीनी स्थिति राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से एक अलग तस्वीर पेश करती है.

पाली जिले के सबसे बड़े कोविड केंद्र, बांगड़ सरकारी अस्पताल में, जहां इंडिया टुडे ने मंगलवार को दौरा किया, केवल छह घंटे के अंतराल में कोविड रोगियों के नौ शवों को एम्बुलेंस में ले जाया गया. इंडिया टुडे ने एक एंबुलेंस के ड्राइवर से बात की. बिना पीपीई किट के ड्राइवर एक और शव दाह संस्कार के लिए ले जाने के लिए तैयार हो रहा था.

एंबुलेंस के ड्राइवर ने कहा कि इस अस्पताल से हर रोज वह करीब 12 शवों को दाह संस्कार के लिए ले जाया जा रहा है. उसने कहा कि इस अस्पताल के लिए प्रतिदिन तीन एम्बुलेंस संचालित होती हैं, औसतन 10 से 12 शवों को यहां से दाह संस्कार के लिए ले जाया जाता है. इस बीच वहां मौजूद एक तीमारदार ने कहा कि मैंने अपने रिश्तेदार को खो दिया है.

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बांगड़ अस्पताल में कई मौकों पर शव घंटों तक लावारिस पड़े रहे. जब कोई नहीं आता है तो स्थानीय नगर परिषद को कॉल किया जाता है, फिर उसका नगर परिषद अंतिम संस्कार करती है. पाली को लेकर राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़े एक ऐसी तस्वीर पेश करते हैं जो इंडिया टुडे को जमीन पर मिली तस्वीर से बहुत अलग हैं.

राजस्थान सरकार के मुताबिक, पाली में 18 मई को 6, 17 मई को 5, 16 मई को 6 और 15 मई को 7 लोगों की मौत हुई है. अभी तक पाली जिले में कोरोना से केवल 232 मरीजों की मौत सरकारी रिकॉर्ड में दिखाई गई है. पाली शहर में कुल तीन कोविड सेंटर हैं. ग्रामीण और शहरी शहर की सीमा सहित पूरे पाली जिले में कुल 12 कोविड केंद्र हैं.

इंडिया टुडे ने पाली के कलेक्टर अंश दीप से बात की, जिन्होंने खामोशी से गलतियों को स्वीकार किया. उन्होंने आश्चर्यजनक दावा किया कि लगभग 40 से 50% रोगियों का आरटी-पीसीआर टेस्ट पॉजिटिव नहीं आया, लेकिन एचआरसीटी स्कैन के दौरान उनके फेफड़ों में संक्रमण दिखा, ऐसे में अगर इनकी मौत होती है तो यह कोरोना की लिस्ट में नहीं आएंगे.

पाली के कलेक्टर अंश दीप ने कहा कि 40 से 50% मरीजों के एचआर सीटी स्कैन में कोरोना का पता चला, इन रोगियों को भी कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार भर्ती कराया गया और उनका इलाज किया गया, लेकिन ऐसे रोगियों की मौत को उस डेटा में नहीं जोड़ेंगे, क्योंकि इनका आरटी-पीसीआर टेस्ट निगेटिव आया है.

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इंडिया टुडे ने श्री हिंदू सेवा मंडल श्मशान घाट का भी दौरा किया. लोड अधिक हो जाने के कारण इलेक्ट्रिक शव दाह मशीन खराब है. वर्तमान में श्मशान घाट पर लकड़ियों से ही दाह संस्कार किया जा रहा था. इस श्मशान घाट में एक साथ छह चिताओं को लकड़ियों का उपयोग करके जलाने की व्यवस्थता है.

श्मशान में प्रतिदिन लाए जाने वाले शवों का रिकॉर्ड बताते हुए प्रबंधक ने कहा कि प्रतिदिन लगभग 10 से 12 शवों को लाया जा रहा है, कोरोना से पहले आमतौर पर 2 से 3 लाशें ही आती थीं.

 

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