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पंचायत चुनाव में वसुंधरा के घर धौलपुर में BJP का सूपड़ा साफ, अलवर में भी कांग्रेस को बढ़त

राजस्थान के दो जिलों में जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव के परिणाम आ गया है. यह चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए सुखद रहा है तो BJP के घर के झगड़े को भी उजागर कर दिया. धौलपुर में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का सूपड़ा साफ हो गया है. राजे का धौलपुर में सिक्का चलता है, मगर इस बार कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की है. 

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वसुंधरा राजे
वसुंधरा राजे
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कांग्रेस ने अलवर जिले में भी जीत दर्ज की है
  • धौलपुर में कांग्रेस को 17 और बीजेपी को सिर्फ 6 पर जीत

राजस्थान के दो जिलों में जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव के परिणाम आ गया है. यह चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए सुखद रहा है तो BJP के घर के झगड़े को भी उजागर कर दिया. धौलपुर में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का सूपड़ा साफ हो गया है. राजे का धौलपुर में सिक्का चलता है, मगर इस बार कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की है. 

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धौलपुर जिला परिषद की सीटों में से 17 पर कांग्रेस जीती है तो BJP को केवल छह सीटें मिली हैं. पंचायत समिति के छह सीटों पर भी ये कांग्रेस के चार प्रधान बने हैं. बीजेपी के हाथ केवल एक प्रधान लगा है, जबकि एक बार निर्दलीय का कब्जा हुआ है. पूरे धौलपुर जिले में 140 वॉर्ड थे, जिसमें 73 पर कांग्रेस जीती है. बीजेपी केवल 38 पर जीती है और अन्य को 29 पर सफलता मिली है.

हालांकि, कांग्रेस ने अलवर जिले में भी जीत दर्ज की है मगर बीजेपी ने जोरदार टक्कर दी है और कहा जा रहा है कि अलवर जैसे ज़िले जुको पर अल्पसंख्यक मतदाता बड़ी संख्या में हैं और राहुल गांधी के करीबी कांग्रेस महासचिव जितेंद्र सिंह की इलाके पर पकड़ है, लेकिन इसके बावजूद बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया.

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अलवर जिला परिषद की 49 सीटों में से कांग्रेस को 25 बीजेपी और बीजेपी को 20 और निर्दलियों को चार सफलता मिली है. अलवर जिले के 16 पंचायत समिति में से कांग्रेस और BJP दोनों को सात-सात पर बढ़त मिली है, जबकि दो में निर्दलीयों को बढ़त है. अलवर ज़िले में कुल 352 वार्ड है जिसमें 134 पर कांग्रेस जीती है और बीजेपी 119 पर जीती है. बहुजन समाज पार्टी और दूसरी छोटी पार्टियों ने 99 वार्ड जीते हैं.

कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि अलवर में बीजेपी की हार का कारण मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के गुटों के बीच झगड़ा रहा है. उधर अलवर में कांग्रेस को अच्छी सफलता नहीं मिलने की वजह सचिन पायलट के समर्थकों में नाराजगी रही है. शकुंतला रावत और संदीप यादव जैसे विधायकों के इलाके में अलवर में कांग्रेस की हार से यह साबित होता रहा है कि पायलट विरोधियों को अलवर में जनता ने हराया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को दोनों ही जिलों में जीत की बधाई दी है.

 

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