राजस्थान के छह जिलों के पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्यों का चुनाव, कांग्रेस और BJP दोनों के लिए वेकअप कॉल है. जिस तरह से राजस्थान की जनता ने छह जिलों में कांग्रेस और BJP को खारिज किया है वह निश्चित रूप से दोनों ही पार्टियों के लिए खतरे की घंटी है.
राज्य के छह जिलों की 78 पंचायत समितियों में कांग्रेस ने 26 जीती हैं और 14 में BJP को पूर्ण बहुमत मिला है. मगर 38 पंचायत समितियों में निर्दलियों ने कब्जा जमाया है. कांग्रेस और BJP से ज्यादा दबदबा निर्दलियों का रहा है. निर्दलियों का जीतना यह दिखाता है कि राजस्थान में लोग दोनों ही पार्टियों से उतना खुश नहीं है, जितना कि दोनों पार्टियां दावा कर रही हैं.
उधर जिला परिषद के 200 सीटों में से 99 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है और 90 पर BJP ने जीत दर्ज की है. ऐसे में जिला परिषद चुनाव में भी कांग्रेस भारी जीत कादावा नहीं कर सकती है. पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के इलाके दौसा, सवाई माधोपुर को छोड़ दें तो बाकी जगहों पर कांग्रेस संघर्ष की स्थिति में रही है. जबकि BJP के लिए सिरोही के इलाके को छोड़कर बहुत कुछ नहीं है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मारवाड़ के इलाके जोधपुर और सिरोही में BJP ने जबरदस्त टक्कर दी है. मगर उससे भी बड़ी बात यह है कि जोधपुर में 7 पंचायत समितियों में कांग्रेस जीती है, 4 में BJP जीती है पर इन दोनों ही पार्टियों से ज्यादा 10 निर्दलीय और दूसरे दलों ने कब्जा जमाया है. जबकि सिरोही में कांग्रेस को केवल एक पंचायत समिति में सफलता मिली है और चार में BJP को सफलता मिली है.
कांग्रेस और BJP का खाता नहीं खुला
इसी तरह से भरतपुर का इलाका है जहां पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी स्वास्थ्य राज्य मंत्री सुभाष गर्ग का सिक्का चलता है. वहां पर कांग्रेस और BJP का खाता नहीं खुला है. वहां निर्दलीय और दूसरे दलों ने 12 पंचायत समितियों पर कब्जा जमाया है. राजस्थान में कुल 78 पंचायत समितियों के 1564 वार्डों में चुनाव हुए थे. इसमें 670 में कांग्रेस तो 551 में BJP ने जीत दर्ज की है. बाकी के 350 से ज्यादा वार्डों में निर्दलीय और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी जैसे छोटे दलों ने जीत दर्ज की है.
BJP के लिए यह चुनाव बड़ा सबक वाला रहा है. जिसमें BJP के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के विधानसभा क्षेत्र आमेर में कांग्रेस और BJP दोनों को बराबर बराबर एक सीटें मिली हैं और बोर्ड बनाने के लिए दोनों ही दल अब निर्दलीयों से उम्मीद लगाए बैठे हैं. इसी तरह से आमेर के जालसू में भी वार्डों में BJP को 12 सीट ही मिली है. वहां एक की कमी पड़ गई है. जोधपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही सफलता का दावा कर रहे हों मगर वहां BJP के केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और 4 बार के विधानसभा सदस्य रहे बाबूसिंह राठौड़ के झगड़े की वजह से कांग्रेस थोड़ी आगे दिख रही है. वरना वहां भी संघर्ष कांटे का रहा है.
BJP ने जयपुर और जोधपुर सीट गंवायी
जिला परिषद चुनाव में जरूर BJP ने जयपुर और जोधपुर सीट गंवायी हैं और कांग्रेस ने कब्जा जमाया है. बाकी जगह दौसा और सवाई माधोपुर में जिला परिषद के सीट कांग्रेस के पास थी और कांग्रेस के पास ही रही है. भरतपुर में भी यह सीट BJP के पास थी और BJP के पास ही रही है. अभी भी गांव की सरकार को देखें तो राजस्थान के 15 जिला परिषदों में BJP का कब्जा है और अब जाकर 10 में कांग्रेस का कब्जा होगा.
इस चुनाव में सचिन पायलट के विरोधियों की हार चर्चा में रही. सचिन पायलट पर हमला बोलने वाले निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा, बाबूलाल नागर और रामकेश मीणा को मुंह की खानी पड़ी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के छह मंत्रियों की बात करें तो कृषि मंत्री लालचंद कटारिया को छोड़कर कोई भी मंत्री अपने इलाके में हर जगह कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं दिला पाया है. वहीं सचिन पायलट गुट के विधायक मुरारीलाल मीणा, GR खटाणा और इंद्रराज गुर्जर की सफलता की चर्चा हर तरफ़ हो रही है. इन इलाकों में कांग्रेस ने क्लीन स्वीप किया है.
निर्दलीय जन-प्रतिनिधियों के जीतने के बाद अवसर देख रही पार्टियां
राजस्थान में दूसरी बार बड़ी संख्या में निर्दलीय जन-प्रतिनिधियों के जीतने के बाद AAP और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM पार्टी भी राजस्थान में जगह तलाशने में लग गई है. AAP की तरफ से श्रीगंगा नगर इलाके में सोमवार से किसान सम्मेलन किया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ AIMIM चीफ ओवैसी जयपुर में एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे और होटल में अपने समर्थकों के साथ बैठक कर राजस्थान में राजनीतिक नब्ज टटोली है.
यह दोनों ही पार्टियां कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सकती हैं. जिसे लेकर कांग्रेस में एक बेचैनी है. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के लिए भी यह चुनाव मौक लेकर आयी है. जहां पर हनुमान बेनीवाल लंबे समय से मेहनत कर रहे हैं. जोधपुर और जयपुर में कई सीटों पर बोर्ड बनाने में वह निर्णायक स्थिति में हैं. ऐसे में उनके लिए भी असमंजस की स्थिति है कि कांग्रेस के साथ जाएं की BJP के साथ जाएं. कृषि बिल के मुद्दे पर उन्होंने एनडीए का साथ छोड़ा था. ऐसे में अगर वे कांग्रेस के साथ जाते हैं तो फिर राज्य में पार्टी को खड़े करने में मुश्किल होगी.
और पढ़ें- Panchayat Election Results: पायलट के गढ़ में कांग्रेस की बड़ी जीत, BJP ने दी कड़ी टक्कर
बीजेपी को आपसी कलह का भी नुकसान
कांग्रेस भले ही दावा कर रही है कि वह 60 से ज्यादा पंचायत समितियों में अपने प्रधान बनाएगी. मगर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि जनता ने सीधे कांग्रेस को वोट नहीं दिया है.
उधर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने BJP की हार को बड़ी हार नहीं बताते हुए कहा कि इसकी विवेचना करनी होगी. माना जा रहा है कि वसुंधरा राजे ने बहुत जल्दी प्रतिक्रिया दी है, जो निश्चित रूप से BJP के मौजूदा नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
BJP में जिस तरह से आपस में नेताओं में झगड़ा है, माना जा रहा है कि उसी की वजह से BJP के इस तरह के हालात हुए हैं. जबकि कांग्रेस सचिन पायलट के विवाद के बाद से बिना संगठन के ही पूरे राजस्थान में काम कर रही है. यही वजह है कि कांग्रेस से ज्यादा निर्दलीय जीते हैं.