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राजस्थान में जनसंख्या कानून सबसे पहले हुआ लागू, फिर भी तेजी से बढ़ी आबादी: रघु शर्मा

पिछले सात दशकों में राजस्थान की आबादी 426 पर्सेंट बढ़ी है. 1947 में राजस्थान की आबादी डेढ़ करोड़ से बढ़कर आठ करोड़ हो गई है. राजस्थान, देश के उन राज्यों में है, जहां पर आबादी नियंत्रण के लिए सबसे पहले कठोर क़ानून बनने शुरू हुए थे.

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जनसंख्या कानून लागू होने के बाद भी राजस्थान की आबादी बढ़ी
जनसंख्या कानून लागू होने के बाद भी राजस्थान की आबादी बढ़ी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जनसंख्या कानून लागू होने के बाद भी राजस्थान की आबादी बढ़ी
  • राजस्थान में 200 विधायकों में से 77 के तीन से लेकर नौ बच्चे
  • सात दशकों में प्रदेश की 426 पर्सेंट बढ़ी आबादी

राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि हम दो और हमारे दो का क़ानून बदल कर हम दो हमारा एक करना चाहिए. भारत सरकार अगर ऐसा क़ानून बनाती है तो राजस्थान सरकार भी उनका साथ देगी. सच्चाई तो यह है कि आज से 29 साल पहले राजस्थान में जनसंख्या नियंत्रण के लिए उत्तर प्रदेश जैसे क़ानून बने थे. लेकिन जनसंख्या का विस्फोट जारी है. राजस्थान में प्रजनन दर उत्तर प्रदेश से भी ज़्यादा है. राजस्थान में 200 विधायकों में से 77 के तीन से लेकर नौ बच्चे हैं.

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पिछले सात दशकों में राजस्थान की आबादी 426 पर्सेंट बढ़ी है. 1947 में राजस्थान की आबादी डेढ़ करोड़ से बढ़कर आठ करोड़ हो गई है. राजस्थान, देश के उन राज्यों में है, जहां पर आबादी नियंत्रण के लिए सबसे पहले कठोर क़ानून बनने शुरू हुए थे. 1992 में पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत ने पंचायत और नगर पालिका क़ानून में बदलाव करते हुए जन प्रतिनिधि चुने जाने के लिए दो बच्चे अनिवार्य कर दिए थे. 

कानून के मुताबिक दो से ज़्यादा बच्चे वाले चुनाव नहीं लड़ सकते थे और चुनाव जीतने के बाद 2 ज़्यादा बच्चे हो गए तो पद से हटाने का भी प्रावधान था. 2001 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने और कठोर क़ानून बना दिया. इसके तहत सरकारी नौकरी पाने के लिए 2 ज़्यादा बच्चे नहीं होने चाहिए और नौकरी में आने पर तीन बच्चे कर ली है तो पांच साल तक के लिए प्रमोशन नहीं मिलेगा और तीन से ज़्यादा कर ली है तो नौकरी से बर्खास्त कर दिए जाएंगे.

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और पढ़ें- 'हम दो-हमारे दो के दिन लद गए, बच्चे एक ही अच्छे', जनसंख्या कानून को राजस्थान के मंत्री का सपोर्ट

राजस्थान में जनसंख्या वृद्धि दर 2.5 पर्सेंट है. ज़ाहिर सी बात है कि क़ानून बनाने के बावजूद राजस्थान में जनसंख्या का विस्फोट रुका नहीं है. मगर राजस्थान सरकार भारत सरकार से मांग कर रही है कि कठोर क़ानून बने. दो बच्चे के बजाय एक ही बच्चा हो.

विधायकों के कितने बच्चे?

दरअसल, राजस्थान सरकार ने क़ानून तो बना दिए. मगर क़ानून बनाने वाले विधानसभा में बैठे विधायकों ने दो बच्चे के इन कानूनों को कभी भी तरजीह नहीं दी. इसलिए राजस्थान के 36 विधायकों के तीन बच्चे हैं.  

21 विधायकों के चार बच्चे हैं 
5 विधायकों को छह बच्चे हैं 
4 विधायकों के छह बच्चे हैं 
2 विधायकों के सात बच्चे हैं और 
एक विधायक को नौ बच्चे हैं.

राज्य सरकार नसबंदी ऐसे कार्यक्रमों पर लाखों रुपये ख़र्च कर रही है. मगर हालात यह है कि एक साल में एक लाख 70 हज़ार महिलाओं और 2000 पुरुषों की नसबंदी हुई है.

राजस्थान के जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम के निदेशक लक्ष्मण ओला का कहना है कि 2025 तक जनसंख्या दर को गिराकर 2.1 तक लाने का लक्ष्य है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को कठोर किया था. मगर BJP और हिन्दूवादी संगठनों की मांग पर पिछली वसुंधरा सरकार ने 2016-17  में सरकारी नौकरी में दो से ज़्यादा बच्चे होने पर पांच साल तक प्रमोशन रोकने वाले क़ानून को बदल कर तीन साल तक कर दिया.

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