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राजस्थान में चीनी मिट्टी के बर्तनों पर भी आर्थिक मंदी की मार

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तत्काल ठोस उपाय नहीं किए गए तो यह उद्योग ठप हो जाएगा. उनका कहना है कि राजस्थान की सिरेमिक इंडस्ट्री में आई इस मंदी के पीछे नोटबंदी, जीएसटी का गलत क्रियान्वयन, अर्थव्यवस्था में नगेटिव ​सेंटीमेंट हैं जिसके चलते एक बड़े तबके में लोगों की खरीद क्षमता कम हुई है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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  • 15 दिनों में स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो यह इंड​स्ट्री के लिए होगा बेहद बुरा समय
  • मंदी से होगा असर, एक महीने के अंदर हो सकते है 25 से 35 फीसदी कारोबार बंद

राजस्थान में चीनी मिट्टी के बर्तन और मिट्टी के शिल्प बनाने वाली सिरेमिक इंडस्ट्री भी मंदी की चपेट में है. इस उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर अगले एक महीने में हालात में सुधार नहीं आता है तो 25 से 35 फीसदी तक कारोबार बंद हो सकते हैं.

अमित कुमार झा पिछले दस सालों से क्लेक्राफ्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रोडक्शन मैनेजर हैं, लेकिन इस क्षेत्र में उनका अनुभव कभी बुरा नहीं रहा. 1995 से ही सेरेमिक उद्योग का हिस्सा होते हुए अमित कुमार का मानना है कि यह उद्योग अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है.

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प्रोडक्शन मैनेजर अमित कुमार झा ने इंडिया टुडे से बताया, 'मैं 1995 से ही बोन चाइना इंडस्ट्री से जुड़ा हूं. मैं इस संस्थान क्लेक्राफ्ट में पिछले दस सालों से हूं. यह बहुत अच्छा था और बेहतर तरीके से चल रहा था. लेकिन आज की स्थिति यह है कि यह व्यवसाय धीरे धीरे नीचे की ओर जा रहा है.'

आर्थिक मंदी का बोझ

अपने रेगिस्तान के लिए पहचाने जाने वाले राजस्थान में सिरेमिक उद्योग का बुरा हाल है. आर्थिक मंदी के बोझ तले यह उद्योग लड़खड़ा रहा है और निकट भविष्य में इस संकट का समाधान नजर नहीं आ रहा है. अगर सरकार ने इस इंडस्ट्री को प्रोत्साहन देने के लिए पर्याप्त उपचारात्मक कदम नहीं उठाए, अगर हर तरफ व्याप्त नगेटिव सेंटीमेंट से छुटकारा नहीं दिलाया गया तो राजस्थान के सिरेमिक उद्योग का हाल बदतर होता जाएगा.

क्लेक्राफ्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर भारत अग्रवाल ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, 'निश्चित तौर पर यह बर्तन उद्योग भी आर्थिक मंदी झेल रहे व्यवसायों का हिस्सा है और हमारा बाजार धीमा चल रहा है. आज हम सीजन के बीच में हैं लेकिन हर समय स्टॉक भरा हुआ है. '

आगे उन्होंने कहा, 'आम तौर पर यह होता था कि इस सीजन में हम बाजार में अपने प्रोडक्ट उपलब्ध कराने के लिए संघर्ष कर रहे होते थे. लेकिन अब हमें अपना स्टॉक निकालने के लिए जोर लगाना पड़ रहा है. अगर अगले 15 दिनों में  स्थिति में सुधार नहीं होता है तो यह इंड​स्ट्री के लिए बेहद बुरा समय होगा. मेरा अनुमान है कि अगले एक महीने के अंदर हालात में सुधार नहीं हुआ तो 25 से 35 फीसदी कारोबार बंद हो जाएंगे.'

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सिरेमिक उद्योग में अनिश्चितता का दौर?

जानकारों का कहना है कि अगर आर्थिक मंदी जारी रही तो राजस्थान में सिरेमिक उद्योग लंबे समय के लिए ​अनिश्चितता के दौर में चला जाएगा. होपवेल सिरेमिक प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन स्वप्न गुहा ने मंदी के दुष्प्रभाव के बारे में बताया, 'हम बेहद कठिन दौर से गुजर रहे हैं. सिर्फ सिरेमिक उद्योग ही नहीं, दवा और खाना छोड़कर हर व्यवसाय मंदी की चपेट में है.'

आगे उनका कहना है, 'निजी तौर पर मैं महसूस करता हूं जिस तरह पिछली बार सरकार ने हमारी मदद की थी, अब फिर से सरकार को पहलकदमी करनी चाहिए. सरकार को इंडोनेशिया, चीन से आयात बंद कर देना चाहिए. लोग बहुत डरे हुए हैं. लोग पैसे बचा रहे हैं कि कल पता नहीं क्या हो.'

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तत्काल ठोस उपाय नहीं किए गए तो यह उद्योग ठप हो जाएगा. उनका कहना है कि राजस्थान की सिरेमिक इंडस्ट्री में आई इस मंदी के पीछे नोटबंदी, जीएसटी का गलत क्रियान्वयन, अर्थव्यवस्था में नगेटिव ​सेंटीमेंट हैं जिसके चलते एक बड़े तबके में लोगों की खरीद क्षमता कम हुई है. पहले जो लोग सिरेमिक प्रोडक्ट खरीद रहे थे, अब वे ही नहीं खरीद रहे हैं.

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