रिफायनरी का मुदा राजस्थान कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गया है. मंगलवार को जयपुर में हुई बैठक में गुटबाजी सामने आने के बाद बुधवार की रात राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को फैक्स कर दिया. इस्तीफा फैक्स करने के बाद उन्होंने किसी से कोई भी बातचीत नहीं की और बाड़मेर निवास अपने घर पर बैठे रहे.
इस इस्तीफे से कांग्रेस खेमे में बाड़मेर से जयपुर तक हडकंप मच गया है. उससे पहले बुधवार को पूरे दिन रिफायनरी को लेकर माथा पच्ची चलती रही और दोहपर में बाड़मेर जिले के बायतु इलाके में रिफायनरी को लेकर बातचीत करने के लिए गए राजस्थान के कद्दावर जाट नेता और राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी ने कहा कि मैं रिफाइनरी के लिए पैरवी नहीं कर पाया. अब मैं जयपुर जाकर मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा.
इस पर जनता ने कहा कि हमने आपको इस्तीफा देने के लिए नहीं बुलाया, आप तो हमारी पैरवी कर रिफाइनरी को लीलाला में लगवाएं. इस दौरान राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी और सोनाराम चौधरी में जमकर नौक-झौक हुई. दोनों ने एक-दूसरे पर जमकर आरोप भी लगाए. बायतु के लीलाला व आसपास के करीब 80-90 फीसदी किसानों ने एक सुर में कहा कि हम जमीन देने को तैयार हैं, रिफाइनरी लीलाला में ही लगनी चाहिए.
कर्नल सोनाराम चौधरी ने कहा कि अगर 10 फीसदी लोग राजी नहीं हैं तो इसका मतलब यह नहीं होता कि सारे लोग जमीन देने को तैयार नहीं हैं. गौरतलब है कि राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं जाट नेताओं का यह भी आरोप है कि सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान के कद्दावर जाट नेता कर्नल सोनाराम चौधरी को नीचा दिखाने और जोधपुर को फायदा पहुंचाने के लिए रिफायनरी को पचपदरा में लगा रहे हैं.