दक्षिण-पश्चिम मानसून भले ही विदा हो गया हो, लेकिन राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में बेमौसम बारिश हो रही है. राजस्थान के सीमावर्ती जैसलमेर में शुक्रवार को बारिश के साथ ओले पड़े. नहरी इलाके में खेतों में ओलों की सफेद चादर बिछ गई. रामगढ़ और आसपास के इलाकों में चने के आकार से भी बड़े ओले पड़े.
मानसून विदा होने के बाद भी इन दिनों पश्चिमी राजस्थान के मौसम में बदलाव नजर आ रहे हैं. कभी सर्द हवा तो कभी तेज तपिश और अब बारिश. शुक्रवार को बारिश के साथ गिरे ओलो ने किसानों की चिंता बढ़ा दी. ओलावृष्टि से फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है.
पाकिस्तान की सीमा से सटे सीमावर्ती जैसलमेर जिले में शुक्रवार रामगढ़ सहित नहरी इलाके में तेज हवा के साथ ओलावृष्टि हुई. इसके बाद शुरू हुई भारी बारिश से कई इलाकों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. इस तूफानी बारिश और ओलावृष्टि से जिले में कई स्थानों पर खड़ी फसलों को नुकसान हुआ है.
बहरहाल, ओलावृष्टि के चलते किसानों में मायूसी का आलम है. चने से भी बड़े आकार के ओला के साथ तेज बारिश की वजह से तापमान में भी गिरावट आई है. इस पूरे रेगिस्तानी इलाके में ओलों की चादर बिछ गई है. बताया जा रहा है कि अरब सागर में आए तूफान की वजह से यह ओलावृष्टि और बारिश हुई है. जैसलमेर शहर सहित जिले के कई इलाकों में घने बादल छाए हुए हैं.
चक्रवाती तूफान का असर कायम
बता दें कि चक्रवाती तूफान क्यार के चलते अरब सागर में एक और कम दबाव का क्षेत्र बन रहा है. जो जल्द ही चक्रवाती तूफान का रूप ले सकता है. मौसम विभाग का कहना है कि इसके चलते शुक्रवार और शनिवार को एक बार फिर से बादलों की आवाजाही तेज हो जाएगी. मानसून खत्म होने के बाद अक्सर भारत में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उष्णचक्रवाती तूफान आते हैं जो पूर्वी, दक्षिण-पूर्वी भारत और तटवर्तीय इलाकों में झमाझम बारिश करते हैं.
(विमल भाटिया के इनपुट के साथ)