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वसुंधरा सरकार को आई इमरजेंसी की याद, चुनाव करीब आते ही ली मीसा बंदियों की सुध

वसुंधरा सरकार ने फैसला किया है कि ऐसे लोगों की नई सूची बनाई जाएगी, जिन लोगों ने आपातकाल के खिलाफ आवाज उठाई थी और कांग्रेस सरकार ने उन्हें जेल भेजा था. इसके लिए जेलों के रिकॉर्ड खंगाले जाएंगे.

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राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे
राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे

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राजस्थान की वसुंधरा सरकार ने कैबिनेट की बैठक बुलाकर कांग्रेस सरकार के दौरान 1975 में इमरजेंसी में जेल गए लोगों को तोहफा देने का ऐलान किया है. अपनी सरकार के 4 साल पूरा होने पर वसुंधरा राजे ने घोषणा की है कि 1975 में मीसा के तहत बंद लोगों को अब लोकतंत्र रक्षक सेनानी का नाम दिया जाएगा और उन्हें पेंशन दी जाएगी. उस पेंशन का नाम होगा लोकतंत्र रक्षा सम्मान निधि.

बनाई जाएगी नई लिस्ट

वसुंधरा सरकार ने फैसला किया है कि ऐसे लोगों की नई सूची बनाई जाएगी, जिन लोगों ने आपातकाल के खिलाफ आवाज उठाई थी और कांग्रेस सरकार ने उन्हें जेल भेजा था. इसके लिए जेलों के रिकॉर्ड खंगाले जाएंगे. जेल के मौजूदा सुपरिटेंडेंट और जिले के एसपी इस बारे में लिख कर देंगे, जिस पर MLA और MP यानी स्थानीय विधायक और सांसद अपनी मुहर लगाएंगे. जिन लोगों को इन दो जगहों से सर्टिफिकेट मिलेगा, उन्हें वसुंधरा सरकार लोकतंत्र रक्षक सेनानी का दर्जा देगी और साथ ही लोकतंत्र रक्षा सम्मान निधि के रूप में पेंशन भी देगी.

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अगले साल हैं विधानसभा चुनाव

बीजेपी ने राजस्थान में चार साल अपने शासन के पूरे कर लिए हैं. इस मौके पर हुई घोषणा को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. जिस तरह से कांग्रेस लगातार लोकतांत्रिक मूल्यों के हनन को लेकर बीजेपी को घेर रही है, BJP लोकतंत्र रक्षक सेनानी और लोकतंत्र रक्षा सम्मान निधि जैसे अपने दांव से कांग्रेस को लोकतंत्र के नाम पर घेरने की कोशिश कर रही है.

योजना में किया गया बदलाव

राजस्थान में चुनाव करीब आए तो बीजेपी सरकार ने फिर इमरजेंसी को याद किया. इमरजेंसी में एक साल तक जेल गए लोगों को पहले से ही पेंशन मिलती है, मगर हल्के बदलावों के साथ योजना का नाम रखा गया है- लोकतंत्र रक्षा सम्मान निधि. अब इस योजना के तहत उन लोगों को भी पेंशन मिलेगी, जो जेल में बंद रहने के वक्त व्यस्क नहीं थे. वो राजस्थानी भी पेंशन के हकदार होंगे, जो राजस्थान के बाहर की जेल में रहे हों. नए नाम जोड़ने के लिए भी कानून में कुछ बदलाव किए गए हैं.

लोकतंत्र के लिए लड़नेवालों को सम्मान देना या पेंशन देना तो ठीक है लेकिन सवाल वसुंधरा सरकार पर भी खड़े हो रहे हैं. ज्यादा दिन नहीं बीते जब वसुंधरा सरकार को अपना वो अध्यादेश वापस लेना पड़ा था, जिसमें सरकारी अफसरों और जजों के खिलाफ आरोपों पर उसकी मंजूरी के बिना रिपोर्टिंग करने तक से मीडिया पर रोक लगाई गई थी. ऐसे में ये सवाल लाजिमी है कि यही सरकार अब किस मुंह से लोकतंत्र की बात कर रही है.

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