राजस्थान में बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार अपनी सत्ता बचाए रखने की हरसंभव कोशिश में जुटी है, कुछ महीने बाद राज्य में होने वाले चुनाव से पहले उसकी कोशिश माहौल को अपने पक्ष में बनाए रखने की है और इस संबंध में ताबड़तोड़ नए फरमान जारी किए जा रहे हैं, नए आदेश में अब से राज्य में किसी सरकारी कार्यक्रम का उद्धाटन या शिलान्यास नेता ही करेंगे अधिकारीगण नहीं.
अगर सरकारी अधिकारी अब से माननीय लोगों से फीता नहीं कटवाया और खुद फीता काटने लगे तो ऐसे सरकारी अधिकारी नपेंगे.
होगी कार्रवाई
राजस्थान की वसुंधरा सरकार ने नया फरमान जारी करते हुए कहा है कि राज्य में कहीं भी कोई सार्वजनिक समारोह, उद्घाटन और शिलान्यास हो या किसी भी तरह का सरकारी कार्यक्रम हो, उसमें जनप्रतिनिधि को बुलाना जरूरी होगा और वही उद्घाटन, शिलान्यास या कार्यक्रम की शुरुआत कर सकते हैं. कोई अधिकारी इस तरह की किसी भी काम को नहीं करेगा.
साथ ही नए फरमान में यह भी कहा गया है जो अधिकारी भी इस आदेश का उल्लंघन करेगा उस पर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी. राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी नेताओं की शिकायत है कि अधिकारी उनकी सुनते नहीं, लिहाजा नेताओं और कार्यकर्ताओं को खुश करने के लिए यह फरमान जारी किया गया है.
इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए जितने भी कार्यक्रम हो रहे हैं, उसमें BJP चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा उसके नेता और कार्यकर्ता हिस्सा लें ताकि जनता में यह संदेश जाए कि बीजेपी सरकार यह काम कर रही है.
मुख्य सचिव की ओर से हिदायत
इसीलिए मुख्य सचिव के स्तर से ऑर्डर जारी किया गया है कि सार्वजनिक राशि के उपयोग से होने वाले किसी भी राजकीय भवनों के शिलान्यास, उद्घाटन या कार्यक्रम या अन्य राजकीय समारोह, किसी राजकीय उपक्रम, संस्था में कार्यक्रम की शुरुआत जनप्रतिनिधि से कराई जाए. सांसद, विधायक जिला प्रमुख, प्रधान, नगर निगम, सभापति, अध्यक्ष ग्राम पंचायत, सरपंच या फिर अन्य जनप्रतिनिधियों को कार्यक्रम में आवश्य बुलाया जाए.
इस पत्र में यह भी कहा गया है 6 मार्च 2018 को अध्यक्षीय व्यवस्था के अनुसार विधानसभा में यह बात कही गई है, लिहाजा कोई अफसर इसका कोई उल्लंघन करता है तो उसे राजस्थान सिविल सेवा आचरण नियम 1971 के अनुसार अनुशासनिक कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा.
आदेश जारी करते हुए सभी विभागों को निर्देश दिया गया है कि इसका अक्षरशः से पालन सुनिश्चित किया जाए.
इससे पहले विधानसभा सत्र के दौरान उपचुनाव हारने के बाद वसुंधरा राजे ने यह आदेश जारी किया था कि किसी भी सरकारी कार्यक्रम में नेताओं की उपस्थिति और नेताओं की अध्यक्षता सुनिश्चित की जाए. राज्य में बीजेपी नेताओं की पुरानी शिकायत रही है कि अधिकारी न ही उनकी सुनते हैं और न ही उनसे कोई सलाह लेते हैं.