15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था और करीब 7 महीने बाद 30 मार्च 1948 को राजपूताना से राजस्थान का गठन हुआ. राजस्थान के गठन के साथ ही जयपुर को प्रदेश की राजधानी बनाया गया और सत्ता का केंद्र भी जयपुर बन गया. उस वक्त राज्य के मुख्यमंत्री थे हीरालाल शास्त्री, जो राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री भी थे.
हालांकि राजस्थान के गठन के बाद भी प्रदेश में ही एक विधानसभा का गठन हुआ और हीरालाल शास्त्री से अलग एक मुख्यमंत्री भी बना. यह विधानसभा थी अजमेर विधानसभा. राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री भले ही हीरालाल शास्त्री बने लेकिन अजमेर के पहले मुख्यमंत्री हरिभाऊ उपाध्याय हैं. यहां की विधानसभा में 30 विधायक थे और भागीरथ चौधरी यहां के पहले विधानसभा अध्यक्ष रहे.
बता दें कि अजमेर आजादी से पहले के भारत के 10 प्रमुख प्रशासनिक प्रांतों में शामिल था. अजमेर में आजादी के बाद भी 1 नवंबर 1956 तक अपनी सत्ता, अपनी सरकार रही, जो राजस्थान से पूरी तरह अलग काम करती थी. इसका गठन 22 जनवरी 1952 को 30 विधायकों के साथ किया गया. लेकिन 5 साल बाद 1 नवंबर 1956 को फाजिल अली की ओर से प्रस्ताव स्वीकार करने के बाद अजमेर का राजस्थान में विलय हुआ.
कहां थी अजमेर की विधानसभा
अजमेर में जयपुर रोड पर एक इमारत थी, जहां विधानसभा चलती थी. आज इस बिल्डिंग में टीटी कॉलेज संचालित है. राजस्थान विलय के बाद इसी इमारत में पुन: टीटी कॉलेज स्थापित कर दिया गया. यह आज भी चल रहा है.
उसके बाद पूरे राजस्थान में एक साथ चुनाव होने लगे और 1957 में हुए चुनाव में कुल 176 सीटों पर चुनाव हुआ. इस चुनाव में कांग्रेस को 119, आरआरपी को 17 और बीजेएस को 6 सीट हासिल हुई. बता दें कि वर्तमान में राजस्थान में 200 विधानसभा सीटें हैं और वसुंधरा राजे प्रदेश की मुख्यमंत्री हैं. 1977 में पहली बार 200 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुआ था.