आजतक ने नोटबंदी के दो दिन बाद जिन एटीएमों की पड़ताल की थी उन्हीं एटीएम में दोबारा जाकर देखा कि 50 दिनों के बाद हालात क्या है. 11 नवंबर को जयपुर में जिन दस एटीएम का जायजा लिया था और उस वक्त ये पाया था कि लोग इधर-उधर भटक रहे हैं मगर सभी के सभी एटीएम खाली पड़े थे. तब लोगों से हमने बात की थी और लोगों ने एक उम्मीद जताई थी कि हमारे प्रधानमंत्री ने सही कदम उठाया है थोड़े दिनों में सब ठीक हो जाएगा.
इसबार हम उन्हीं दस एटीएम पर गए जहां 50 दिन पहले गए थे. फर्क बस इतना नजर आया कि उस वक्त हमें दस के दस एटीएम में पैसे नहीं मिले थे लेकिन 50 दिन बाद दस में से तीन एटीएम में पैसे थे बाकि के सात एटीएम में पैसे नहीं थे.
हम सबसे पहले जयपुर के टोंक रोड के आईसीआईसाई के दो एटीएम में गए जहां एटीएम के बिना गेट खुला पड़ा था और वहां जमें धूल बता रहे थे कि लंबे समय से कोई यहां पैसे निकालने नहीं आया है. हमें देखकर दो छात्राएं एटीएम में आई जिन्होंने
पूछा कि एटीएम में पैसा है तो हमने कहा कि आप निकाल कर देख लें, लेकिन दोनों एटीएम में पैसे नहीं मिले.
इसके बाद हमने ओरिएंटल बैंक आफ कॉमर्स, बैंक औफ बड़ौदा, कोटक महिंद्रा बैंक, यूनियन बैंक, एचडीएफसी और एसबीआई के दो एटीएम में भी गए जहां पैसे नहीं मिले. लेकिन पंजाब नेशनल बैंक, बैंक आफ इंडिया और सेंट्रल बैंक के एक-एक एटीएम में पैसे निकलते दिखे. इन एटीएम में लोग लाईनों में लगे थे. सबका कहना है कि कई जगह से घूम कर आए है तब जाकर यहां पैसे मिले हैं.
ये कहानी केवल इन्हीं बैंकों के एटीएम के नहीं है बल्कि सच्चाई ये है कि नोटबंदी के 50 दिन होने पर भी जयपुर में 70 फीसदी एटीएमों में पैसे नही मिल रहे हैं और लोग भटक रहे हैं. कमोबेश यही हालत सभी बैंकों के भी हैं. बैंकों में पैसे नहीं होने की वजह से ग्राहकों को दस हजार से ज्यादा चेक से भी नहीं दे रहे हैं. आईसीआईसीआई के चित्रकूट ब्रांच और बैंक आफ बड़ौदा के नेहरु प्लेस में हमने जाकर देखा जहां लोगों को 24 हजार रुपए नहीं मिल रहे थे. सभी लोगों के जबान पर यही सवाल था कि क्या 50 दिनों बाद भी हालात नही सुधरेंगे. हर कोई 30 दिसंबर के बाद किसी चमत्कार का इंतजार करता दिख रहा है.
लेकिन ये भी सच है कि 20 में से 15 आज भी बैंकों और एटीएम में लोग भटकते मिले जिन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नोटबंदी का फैसला ठीक है बस सरकार हमारी परेशानी दूर कर दे. इसके बाद हम शहरों से गांवों की तरफ पचास दिन का हाल जानने के लिए निकले. जयपुर जिले के धवास गांव के किसानों को प्रधानमंत्री से कहना है कि खेती के लिए पैसे की व्यवस्था करें. कोई भी नोटबंदी के फैसले के खिलाफ नहीं है लेकिन मोटर खराब हो जाए तो बनाने के लिए पैसे नहीं है. खाद के लिए पैसे नहीं है. बैंक वाले दो हजार रुपए दे रहे हॆं. कम से कम बैंक से पैसे निकालने की व्यवस्था करवाएं.