scorecardresearch
 

500 साल पुरानी पिछवाई कला को रिलांयस फाउंडेशन देगा बढ़ावा: नीता अंबानी

पिछवाई बनाने वाले कलाकारों का कहना है, 'हमारा ये कारोबार पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है, मेहनत ज्यादा है और पैसे कम मिल रहे हैं, लेकिन रिलायंस की पहल से हमारी कला और आर्थिक स्थिति दोनों में सुधार आएगा.'

Advertisement
X
पिछवाई कलाकारों के साथ नीता अंबानी
पिछवाई कलाकारों के साथ नीता अंबानी

Advertisement

अहमदाबाद में खास भगवान श्रीनाथजी की पिछवाई बनाने वाले राजस्थान के नाथद्वारा के कारीगरों से रिलायंस फाउंडेशन की चेयरपर्सन नीता अंबानी मिलने पहुंचीं. निता अंबानी ने पिछवा बनाने वाले कारीगरों से बातचीत की और उनकी समस्याओं के बारे में भी जाना.

दिवाली गिफ्ट बनेंगी ये पेंटिग्स
दरअसल पिछवाई वो पारंपरिक कला है, जिसमें एक पीढ़ी से दूसरी और दूसरी से तीसरी पीढ़ी लगी हुई है. नीता अंबानी का कहना है कि ये कला काफी अनू्ठी और सालों पुरानी है. जिसे आज कुछ लोगों ने ही जिंदा रखा है. इस कला को प्रोत्साहन मिले और ये कला सालों तक टिकी रहे इसके लिए रिलायंस पिछवाई पेंटिग्स को इस साल गिफ्ट के तौर पर दिवाली में देगा. जिससे आर्थिक तौर पर जूझ रहे कलाकारों को प्रोत्साहन मिल पाए और उनकी बनाई पिछवाई पेंटिग्स के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोग जान पाए.

Advertisement

क्या है पिछवाई कला?
पिछवाई कला पांच सौ साल से भी ज्यादा पुरानी है. इसमें कपड़े पर भगवान श्रीनाथजी की अलग-अलग मुद्राओं में तस्वीरें बनाई जाती हैं. दिलचस्प बात ये है कि इस कला में इस्तेमाल होने वाले सभी रंग कुदरती होते हैं. भगवान के श्रृंगार के लिए जो गहने बनाए जाते हैं, वो असली सोने के पाउडर से बनाए जाते हैं. एक पिछवाई को बनाने में एक महीने का वक्त लगता है, जिसमें काफी बारीक काम रहता है.

रिलायंस की पहल से सुधरेगी स्थिति
पिछवाई की कीमत 5 हजार से लेकर 5 लाख तक रहती है. जिस तरह की पिछवाई उसी तरह के दाम होते हैं. पिछवाई बनाने वाले कलाकारों का कहना है, 'हमारा ये कारोबार पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है, मेहनत ज्यादा है और पैसे कम मिल रहे हैं, लेकिन रिलायंस की इस पहल से हमारी कला और आर्थिक स्थिति दोनों में सुधार आएगा.'

Advertisement
Advertisement