जयपुर के धवास गांव में ट्रैक्टर चलाने वाले सुरेश कहते हैं कि पहले एक महीने में जहां 10 हजार का डीजल लगता था. अब सीधे 13 हजार रुपये का लगने लगा है. कहने को तो पिछले साल की तुलना में डीजल के दाम ₹20 ही बढ़े हैं मगर आप खेती करते हैं तो जानते हैं कि एक खेत में कम से कम पांच बार ट्रैक्टर चलाना पड़ता है. ऐसे में डीजल की बढ़ोतरी ने हमारी कमाई खत्म कर दी है.
जयपुर में 40 डिग्री के तापमान में मूंगफली की निवाई कर रहे मीठालाल का कहना है कि हमारे पास 14 -15 बीघा खेत है और एक साल में मैं एक लाख से ज्यादा रुपये का डीजल का प्रयोग करता हूं. लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से डीजल के दाम बढ़े हैं, उससे खेती में होने वाला छोटा मुनाफा भी डीजल के बढ़े हुए दामों की भेंट चढ़ जाएगा. सरकार, किसानों को ध्यान में रखते हुए कम से कम डीजल के दाम कम करे. अब तो पेट्रोल और डीजल के दाम में कोई अंतर ही नहीं रह गया है.
मीठालाल का कहना है कि जुताई के अलावा खाद बीज भी ट्रैक्टर से लेकर आते हैं. बिजली नहीं मिलती है तो इसी डीजल से सिंचाई भी करते हैं उसके बाद फसल कटने पर इसी डीजल से थ्रेसर भी चलता है और ट्रैक्टर पर लादकर बाजार ले जाते हैं. अनाज के लिए तो वहां भी डीजल ही काम आता है.
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उधर जयपुर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने भी माल भाड़े में 20 फीसदी तक का बढ़ोतरी कर दिया है. ट्रक एसोसिएशन का कहना है कि लगातार डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में अब कम मार्जिन में काम करना संभव नहीं है. किराना दुकानदार कहते हैं कि अब सामान्य कामकाज में काम आने वाले सामान भी महंगी होंगी, क्योंकि ढुलाई महंगी होती जा रही है.