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राजस्थान HC का फैसला- सरकार की सिफारिशों के अनुसार फीस लेंगे स्कूल

चीफ जस्टिस इंद्रजीत माहन्ती की खंडपीठ ने फैसला किया है स्कूल अपनी फीस 28 अक्टूबर की सरकार की सिफारिशों के अनुसार ले सकेंगे. जितना प्रतिशत सिलेबस होगा, ट्यूशन फीस का भी उतना ही प्रतिशत वसूल कर सकेंगे.

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राजस्थान हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
राजस्थान हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ट्यूशन फीस का 70 फीसदी लेने की सिफारिश
  • स्कूल-अभिभावकों ने किया था इनकार

निजी स्कूल फीस मामले में राजस्थान हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. चीफ जस्टिस इंद्रजीत माहन्ती की खंडपीठ ने  फैसला किया है स्कूल अपनी फीस 28 अक्टूबर की सरकार की सिफारिशों के अनुसार ले सकेंगे. जितना प्रतिशत सिलेबस होगा, ट्यूशन फीस का भी उतना ही प्रतिशत वसूल कर सकेंगे. कोरोना की वजह से सिलेबस कम किया गया है.

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दरअसल, राजस्थान सरकार ने जयपुर हाईकोर्ट के निर्देश पर एक कमेटी का गठन किया था. उस कमेटी ने 28 अक्टूबर को अपनी सिफारिशें सौंपी थी. कमेटी की सिफारिशों में कहा गया था कि जो भी स्कूल्स ऑनलाइन पढ़ाई करवा रही हैं वे ट्यूशन फीस का 70 प्रतिशत हिस्सा बतौर फीस ले सकते हैं. 

इसके अलावा स्कूलें खुलने के बाद जितना कोर्स संबंधित बोर्ड की ओर से तय किया जाएगा, उसके अनुसार स्कूल फीस ले सकें, लेकिन राज्य सरकार की इन सिफारिशों को निजी स्कूलों और अभिभावकों ने मनाने से इनकार कर दिया था. इसके बाद हाईकोर्ट का रुख किया गया था. जिसने आज अपना फैसला सुना दिया है.

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राजस्थान हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभिभावक संघ की ओर से कहा गया कि कोरोना संकट को देखते हुए राज्य सरकार को फीस वहन करनी चाहिए, जबकि एक अभिभावक ने कहा कि स्कूल खुलने के बाद भी स्कूल संचालकों को ट्यूशन फीस का 30 फ़ीसदी ही वसूल किया जाना चाहिए.

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इस पर राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश महर्षि ने कहा था कि आरटीई एक्ट के तहत निशुल्क शिक्षा के 25 फ़ीसदी विद्यार्थियों के अलावा अन्य विद्यार्थियों की फीस सरकार वहन करने के लिए बाध्य नहीं है. यदि सरकार की ओर से तय की गई फीस से अदालत संतुष्ट नहीं है तो सीए और ऑडिटर अभिभावकों को शामिल करते हुए गठित फीस निर्धारण कमेटी से फीस निर्धारित करवाई जा सकती है.

 

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