सरिस्का टाइगर रिजर्व में एक के बाद एक हो रही मौतों को लेकर सरकार कटघड़े में है. लोग सवाल पूछ रहे हैं कि यह वही नरभक्षी तेंदुआ तो नहीं, जिसे राजस्थान सरकार ने दया दिखाते हुए वापस लाकर छोड़ दिया था.
तेंदुए ने ली दो लोगों की जान
दरअसल वनविभाग ने पहले 28 जनवरी और फिर एक फरवरी को दो लोगों की मौत के बाद दो तेंदुआ को नरभक्षी मानकर पकड़ा था. ये वही तेंदुए थे, जिन्हें पिछले साल सितंबर और अक्टूबर में दो लोगों के मारने के बाद बड़ी मुश्किल से पहचानकर वन विभाग ने पकड़ा था. लेकिन उसके बाद वन विभाग के कुछ अधिकारियों और सरकार ने जानवर पर अत्याचार की बात कहकर वापस उसकी जगह छोड़ दिया. उसके बाद से इसी इलाके में दो लोगों की तेंदुए के हमले से मौत की खबर है. ऐसे में लोग सवाल कर रहे हैं कि जब इन तेंदुओं को आदमखोर मानकर जयपुर जू लाया गया और उसके बाद कोई घटना नहीं हुई तो फिर से उन्हें वहां छोड़ने की क्या जरूरत थी.
इसके बाद अब तेंदुओं की तलाश में पुलिस और प्रशासन सरिस्का टाईगर रिजर्व के आसपास के गांवों में जंगल-जंगल, नदी-नाले भटक रहा है. प्रशासन ने इलाके में जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे भी लगाए हैं. वहीं ड्रोन कैमरों और खोजी कुत्तों को भी तलाशी के काम में लगाया गया है. इसके अलावा खोजी दस्ते ने जंगल में जगह-जगह पिंजरे लगाकर उसके बकरा बांधा है, ताकि बकरे की लालच में तेंदुआ पिंजरे में फंस जाए. सरकार ने इन आदमखोर तेंदुओं को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए हैं. हालांकि 24 घंटे की मशक्कत के बाद भी तेंदुए पकड़ से बाहर है.
वन विभाग के अनुसार, ये तेंदुए शाम पांच बजे से 6 बजे के बीच ज्यादा शिकार करते हैं, इसलिए इस समय ज्यादा चौकन्ना रहने के लिए कहा गया है. वहीं विशेषज्ञ बताते हैं कि तेंदुए जैसे जानवर बहुत ही डरपोक और चालाक होते हैं. एक बार छोड़े जाने के बाद उन्हें दोबारा पकड़ा जाना आसान नहीं. ऐसे में अगर दो दिनों के अंदर तेंदुआ नहीं पकड़ा जाता, तो वन विभाग देहरादून के विशेषज्ञों की टीम बुलाने पर विचार कर रही है, जो आदमखोर जानवरों को पकड़ने में एक्सपर्ट है.
बाघ कम होने से बढ़ी तेंदुओं की आबादी
कुछ साल पहले सरिस्का रिजर्व से बाघों के गायब होने बाद तेंदुओं की संख्या बढ़कर 30 हो गई थे. फिर 2010 में दो बाघ आए, तो उस वक्त तेंदुए बढकर 52 हो गए. हालांकि अब इस रिजर्व में 14 बाघ है और तेंदुओं की संख्या 100 के पार पहुंच गई. इसके बाद बाघों के डर से तेंदुए जंगल के बाहरी इलाकों की तरफ जाने लगे, जिस वजह से गांव के लोगों में इस कदर भय व्याप्त है कि खेत पर भी अकेले नहीं जा रहे हैं. लोग अपने गांवों में सिमटे हुए हैं. पुलिस और प्रशासन जहां-जहां जा रहा है लोग अपने घरों से निकल रहे है. प्रशासन लकड़ी काटने जंगल जानेवालों के लिए रसोई गैस की व्यवस्था कर रहा है जबकि शौच के लिए बाहर जाने वालों को रोकने के लिए सभी घर में बाथरुम बनाने के आदेश दिए गए हैं. मारे गए चार लगों में दो जंगल में लकड़ी काटने गईं थी. तीसरा शौच के लिए गईं थो और चौथा खेत पर काम कर रहा था.