पाकिस्तान से सटा भारत का रेगिस्तानी बॉर्डर इलाका सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा चुनौती बना हुआ है. इस इलाके में सीमा पर जगह-जगह तार का घेरा टूट गया है. हाल के दिनों में पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ की घटनाएं भी बढ़ी हैं.
पिछले कई सालों से संसदीय समिति से लेकर सुरक्षा कमेटी तक यहां का दौरा कर चुकी है. लेकिन लापरवाही बढ़ती जा रही है. राजस्थान में 1025 किमी की भारत-पाकिस्तान सीमा पर थार के रेगिस्तान में शिफ्टिंग सैंड ड्यून (रेत के टीलों) की वजह से भी फेंसिंग बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं हो पाई है. जब तेज हवा चलती है तो फेंसिंग रेत के अंबार में ढंक जाती हैं. कहीं तारबंदी के नीचे से रेत निकल जाता है. बीएसएफ के पास इससे निपटने के लिए सुविधाएं नहीं हैं. ये शिफ्टिंग सैंड ड्यून जवानों के लिए हमेशा मुश्किल चुनौती बनी रहती है.
पकड़े गए कई जासूस
राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया का कहना है कि स्टेट इंटेलिजेंस ने इसके लिए केंद्र को पत्र लिखा है कि रेगिस्तानी इलाके में सुरक्षा बढ़ाई जाए. बीएसएफ के राजस्थान फ्रंटियर के आईजी बीआर मेघवाल कहते हैं कि टूटी फेंसिंग हमारे लिए बड़ी समस्या है. इसकी वजह से डर बना रहता है. पिछले साल सितंबर को इंजीनियरों की टीम ने दौरा कर बॉर्डर की तारबंदी दुरुस्त करने की योजना बनाई थी, लेकिन अब तक काम शुरु नहीं हो पाया है.
डिफेंस पार्लियामेंट्री कमेटी जनवरी 2016 और एक नेशनल काउंसिल मई 2016 में दौरा कर चुकी है. फिर भी जमीनी हकीकत नहीं बदला. बीएसएफ ने 61 किमी में तारबंदी को टूटने से रोकने के लिए प्लांटेंशन का प्रपोजल भेज रखा है.
एक बार तो चार बच्चे पाकिस्तान से आकर कई किलोमीटर अंदर गांव में सोते रहे और सुरक्षा एजेंसियों को 15 घंटे बाद सूचना मिली. अप्रैल 2015 में तो तस्कर बाड़मेर बॉर्डर से हिरोईन लेकर काफी अंदर तक घुस आए थे. एक साल में नौ पाक जासूस भी पकड़े जा चुके हैं.