महज 12 दिनों में 12 विमंदित बच्चों की मौत के मामले में केंद्र की मोदी सरकार ने सफदरजंग अस्पताल के डाक्टरों की टीम जयपुर भेजी है. सरकारी अनाथालय में उल्टी-दस्त और बुखार से 12 बच्चे दम तोड़ चुके हैं, जबकि नौ अस्पताल में भर्ती हैं, जिसमें से तीन की हालत नाजुक बनी हुई है.
दौरे से पहले जुटे अधिकारी
केंद्र की टीम के दौरे से पहले राज्य सरकार ने सौ अधिकारियों का अमला अनाथालय में उतार दिया. कोई पानी की टंकी साफ करवा रहा था, तो कोई परदे लगवा रहा था, लेकिन इसके बावजूद बच्चों की तबियत बिगड़ने का सिलसिला नहीं थम रहा है. एंबुलेंस से बच्चों का अस्पताल जाना जारी है.
गंदा पानी पीने को बच्चे मजबूर
जांच टीम ने जब एक बच्चे से कुछ पूछना चाहा, तो कह दिया गया कि बच्चा गूंगा-बहरा है, लेकिन बच्चा बोल पड़ा. जहां इस तरह के केयर टेकर हैं, वहां मानसिक रूप से बिमार बच्चों के साथ क्या होता होगा. अनाथालय में गंदा पानी पीने को बच्चे मजबूर हैं, लेकिन अफसर से लेकर सरकार को समझने में तीन दिन लग गए कि बच्चे क्यों मर रहे हैं.
आज तक की टीम ने किया दौरा
आज तक की टीम ने जब इस अनाथालय का दौरा किया और देखा कि किस तरह जानवरों की तरह इन बच्चों को रखा जा रहा है. कहीं नंगे बदन, तो कहीं फर्श पर लेटे बच्चों को देख कर भला कौन कह सकता है कि 18 केयर टेकर और चार डाक्टरों की टीम बच्चों की देखभाल करती है. हर बच्चे पर हर महीने 1990 रुपए खाने और स्वास्थ्य पर खर्च के लिए आता है.
सैंपल इकट्ठा कर रही केंद्र की टीम
बच्चों की मौत की वजह जानने के लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के पांच डाक्टरों की टीम भेजी. सफदरगंज अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉक्टर केसी अग्रवाल ने बताया कि वे लोग अभी सैंपल इकट्ठा कर रहे हैं.
छह और बच्चों की तबियत बिगड़ी
बच्चों की तबीयत अब भी बिगड़ना जारी है. 12 बच्चों की मौत और 9 बच्चों के अस्पताल में जाने के अलावा दो दिनों में छह और बच्चों की तबियत बिगड़ने पर अस्पताल भेजा जा चुका है, जिसमें से तीन आईसीयू में भर्ती कराए गए हैं. मंत्री लगातार दौरा कर रहे हैं. एसी, कूलर, टीवी और आरओ तक खुद लगवा रहे हैं.
दूषित खाने से बच्चों की मौत
जेके लोन अस्पताल के डॉक्टर पहले ही बता चुके हैं कि बच्चों की मौत दूषित खाना और पानी से हो सकती है. सरकार ने लापरवाही के आरोप में अब तक सात अधिकारियों को सस्पेंड किया है.