अलवर जिले में पिछले पांच दिनों में संक्रमित खून से सात लोगों की मौत का मामला सामने आया है. इस खबर के बाद राज्य में हंगामा मच गया है. राजस्थान सरकार ने देर रात जयपुर से जांच टीम अलवर भेजी है. टीम के डॉक्टर ब्लड बैंक जाकर मामले की जांच कर रहे हैं.
अतिरिक्त निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने यह माना कि पिछले पांच दिनों में सात मौतें हुई हैं, लेकिन उनका कहना है कि मौत की असली वजह क्या रही, इसकी जांच की जा रही है. उधर जिला कलेक्टर मुक्तानंद अग्रवाल ने मामले की प्रशासनिक जांच के लिए टीम गठित कर दी है. एडीएम सिटी महेंद्र मीणा और एसीएम जावेद अली को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
पिछले पांच दिनों में सेठ माखन लाल चैरिटेबल ट्रस्ट से 19 फरवरी से जिन लोगों को ब्लड दिया गया है, उनका रिकॉर्ड लिया गया है. मरने वाले सभी सात लोगों को यहीं से ब्लड लेकर चढ़ाया गया था. ऐसे अब तक 167 लोग सामने आए हैं, जिनकी जांच की जा रही है.
खून चढ़ाने के चार घंटे में मौत
अलवर जिले के निवासी अजय कालरा ने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी सोनिया कालरा को सोलंकी अस्पताल में भर्ती कराया था, वह पैदल चलकर अस्पताल गई थी, लेकिन बाद में डॉक्टरों ने कहा कि उनको खून की जरूरत है, जैसे ही उसको खून चढ़ाया गया, उसके चार घंटे में सोनिया की मौत हो गई. उस समय डाक्टरों ने बताया कि संक्रमित खून की वजह से किडनी में इंफेक्शन हो गया जिससे मौत हुई है. मृतका के दो छोटे बच्चे हैं. परिजनों का कहना है कि वे न्याय के लिए लड़ाई लड़ेंगे.
वहीं एक अन्य मामले में किशनगढ़ थाना क्षेत्र के अंतर्गत फातियाबाद गांव निवासी सुमन यादव की मौत के बाद परिजनों ने कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई. परिजनों ने डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाआ है और मौत की वजह बताने को कहा है. इस मामले में खून के संक्रमण से मौत होने की आशंका व्यक्त की जा रही है. कोतवाली थानाधिकारी राम सिंह ने कहा कि सुमन यादव की मौत के मामले में मुकदमा दर्ज हुआ है, जिसकी जांच की जा रही है.
पांच डॉक्टरों की टीम कर रही है जांच
सुमन और सोनिया के अलावा अरफीना और कम्पो की मौत की बात भी सामने आई है. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर पंकज गुप्ता ने बताया कि सात मरीजों की मौत के मामले को गंभीरता से लिया गया है. इस मामले में डिप्टी सीएमएचओ डॉक्टर छबील के नेतृत्व में पांच डॉक्टरों की टीम बनाई गई है जो हर पहलू की जांच करेगी. इस टीम में डॉक्टर मोनिका जैन पैथोलॉजिस्ट, डॉक्टर राजेश लालवानी फिजिसियन, डॉक्टर बबीता सिंह एनजीओलोजियोलॉजीस्ट और ड्रग कंट्रोलर ऑफिसर शामिल हैं.
ब्लड बैग में मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट की आशंका
पंकज गुप्ता ने बताया कि ब्लड बैंक में जांच के बाद संबंधित अस्पतालों में भी जांच की जाएगी. अस्पतालों और ब्लड बैंक से डाटा कलेक्ट कर करीब तीन दिन में इस मामले की जांच रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंपी जाएगी. हालांकि उन्होंने यह संदेह व्यक्त किया है कि यह हो सकता है कि ब्लड बैग में कोई मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट भी हो. उस बैग के बैच को भी जांच के दायरे में लिया जाएगा. उन्होंने इस बात का भी अंदेशा व्यक्त किया है कि ब्लड बैंकों से बाहर लगने वाले रक्तदान शिविरों के माध्यम से भी संक्रमित ब्लड उपयोग हो सकता है.
ब्लड बैंक ने 400 यूनिट ब्लड पर लगाई रोक
इधर ब्लड बैंक के प्रभारी अधिकारी डॉक्टर चंद्रशेखर शर्मा ने बताया है कि ब्लड बैंक ने पुराने ब्लड को देना बंद कर दिया है. जिन मरीजों को अब ब्लड की जरूरत है. उनके जरूरतमंदों से ब्लड लेकर और तुरंत जांच कराकर एक-दो दिन में ही ब्लड देने का काम हो रहा है. उनके ब्लड बैंक में करीब सभी 400 यूनिट ब्लड है, जिस पर रोक लगा दी गई है. इसके अलावा ब्लड बैंक में जमा ब्लड की जांच के लिए जयपुर के दुर्लभ जी अस्पताल में सैंपल भेजा गया है. जांच के बाद ही पता चलेगा कि ब्लड संक्रमित है या नहीं.
संक्रमित ब्लड का बदल जाता है रंग
ब्लड बैंक के प्रभारी अधिकारी ने बताया कि ब्लड जब संक्रमित होता है तो उसका रंग बदल जाता है. ब्लड बैंक अपने स्तर पर उस ब्लड को प्रयोग नहीं करते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि ब्लड बैंक से ब्लड इशू होने के चार घंटे के भीतर ही उपयोग हो जाना चाहिए. लेकिन अधिकांश अस्पतालों में इस बात का ध्यान नहीं रखा जा सकता है. ब्लड बैंक ने संभावना जताई है कि जिस अस्पताल से या डॉक्टर के जरिए सैंपल भेजा जाते हैं, वहां से अगर ब्लड ग्रुप का टैग गलत लगा आ गया तो ऐसी स्थिति में भी संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है.
नहीं हुई है सभी मृतकों की पहचान
चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि जिस वक्त ब्लड मरीज को चढ़ाया जाता है, उस दौरान डॉक्टर को मरीज के पास होना चाहिए क्योंकि 15 से 20 मिनट में मरीज को चढ़ने वाले ब्लड के बारे में इस बात का पता चल जाता है कि जो ब्लड उसे चढ़ाया जा रहा है वह उससे मैच कर रहा है या नहीं. जांच करने गई टीम के अधिकारी डिप्टी सीएमएचओ डॉक्टर छबील ने बताया कि प्रारंभिक सूचना सात मरीजों के मरने की है, लेकिन अभी तक उन सभी की पहचान नहीं हो पाई है. उनकी अस्पतालों में जाकर पहचान की जाएगी और संबंधित ब्लड बैंक से जिन अस्पतालों को ब्लड दिए गए हैं, उनकी सूची मांगी गई है.