राजस्थान के बहुचर्चित भंवरी देवी कांड में बुधवार के दिन सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी परसराम बिश्नोई की याचिका पर आदेश देते हुए एससी-एसटी कोर्ट को निर्देश दिया है कि भंवरी देवी मामले में सभी आरोपियों का बयान 12 अप्रैल तक रिकॉर्ड करके सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक रिपोर्ट के रूप में रखा जाए.
भंवरी देवी के मामले में ये फैसला सुप्रीम कोर्ट के दो जजों जस्टिस संजय किशन कौल और हेमंत गुप्ता की बैंच के द्वारा दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता का पक्ष अधिवक्ता महेश जेठमलानी और संजय विश्नोई द्वारा रखा गया.
राजस्थान के बहुचर्चित भंवरी देवी कांड ने 2011 में प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया था. भंवरी देवी एक सामान्य सी नर्स थी जिसका संबंध राजस्थान की राजनीति में बड़े-बड़े नेताओं से था. भंवरी देवी ने दावा किया था कि उसके पास एक ऐसी सीडी है. जिसके बाहर आने पर तीन दिन में सरकार गिर जाएगी.
भंवरी देवी के लापता होने के बाद उसकी हत्या कर दी गई. ये मामला इतना बढ़ा कि इसकी जांच सीबीआई को दे दी गई. इस मामले की वजह से कांग्रेस के दो नेताओं, मंत्री महिपाल मदेरणा और विधायक मलखान सिंह बिश्नोई को जेल जाना पड़ा. भंवरी देवी मामले पर अदालत का अंतिम निर्णय अभी भी लंबित है.