राजस्थान की जेल में बंद कैंसर पीड़ित की जमानत अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. 42 वर्षीय कैदी आशु जैफ ने 'मां की गोद में अंतिम सांस लेने' के लिए कोर्ट से जमानत की गुहार लगाई थी. याचिका में कहा गया है कि मामले की सुनवाई में काफी समय लगेगा और तब तक उसकी मौत हो जाएगी, लिहाजा उसे जमानत दे दी जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को याचिका खारिज कर दी है. अब आशु जैफ को जेल में ही रहना पड़ेगा. नकली नोटों के मामले में जयपुर की जेल में बंद आशु जैफ को मुंह का कैंसर है. सुप्रीम कोर्ट की अवकाश कालीन बेंच ने इस याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 5 जून तक जवाब मांगा था.
Supreme Court dismisses petition filed by Aasu Jaif, prime accused for allegedly possessing Rs 23 lakh counterfeit currency notes, seeking bail to stay with his mother as he is suffering from Cancer.
— ANI (@ANI) June 6, 2019
आशु जैफ के पास से 23 लाख रुपये के जाली नोट बरामद हुए थे और पिछले साल जयपुर में उसके खिलाफ एक केस भी दायर किया गया था. 24 अप्रैल को राजस्थान हाईकोर्ट ने आशु जैफ की अंतरिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी थी. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ आशु जैफ ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी.
याचिकाकर्ता आशु जैफ ने कहा है कि निचली अदालत में मामले की सुनवाई में काफी समय लगेगा और तब तक उसकी मौत हो जाएगी या सुनवाई की कार्यवाही को समझने में वह अपना मानसिक संतुलन खो देगा. उसने कहा है कि कैंसर के मरीज उम्मीद खो देते हैं. मैं भी जीने की उम्मीद खो चुका हूं और अब अपनी मां की गोद में मरना चाहता हूं, जिससे आखिरी समय में मां और अपनों का साथ मिल सके.