आम आदमी पार्टी की रैली में आत्महत्या करने वाले किसान गजेंद्र सिंह को क्या बचाया जा सकता था? ये सवाल उठ रहा है क्योंकि सैकड़ों लोगों की भीड़ जंतर मंतर पर पेड़ पर चढ़े गजेंद्र को देख रही थी, लेकिन उसे बचाने की कोशिश करने की हिम्मत किसी में नहीं दिखी. मानो सब संवदेना शून्य हो गए हो.
माना जाता है कि फांसी लगाने के बाद 1 मिनट तक किसी जान नहीं जाती है. अगर कोशिश की जाए तो उसे बचाया जा सकता है, तब जब आप उसे देख रहे हो, वो आपके सामने पेड़ पर खड़ा हो, लेकिन दिल्ली में खड़े लोग तमाशे की तरह गजेंद्र सिंह को देखते रहे?
दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के नेता किसान रैली में भाषण देते रहे. मंच से कुछ ही दूरी पर किसान गजेंद्र सिंह पेड़ पर चढ़े आत्महत्या की धमकी देते रहे और किसी ने उन्हें बचाने की कोशिश नहीं की.
देश को यह जानना चाहिए कि जिस जगह पर खुदकुशी हुई अगर आम आदमी पार्टी के मंच से कोई भी शख्स नीचे उतरता और उस पेड़ तक आने की कोशिश करता कितने सेकेंड लगते. संभव था कि केजरीवाल या कोई भी उससे जाकर बातचीत करता, तो शायद स्थिति कुछ और हो सकती थी.
वीडियो में देखिए कि कैसे अगर कोशिश हुई होती तो किसान गजेंद्र सिंह तक पहुंचने में कुछ सेकेंड लगते और बचाया जा सकता था.