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राजस्थानः अलवर में जहां टूटा था 300 साल पुराना मंदिर, वहां कांग्रेस ने निर्दलीय पार्षद को बनाया चेयरमैन

अलवर के राजगढ़ में 300 साल पुराने शिव मंदिर को तोड़ने के बाद कांग्रेस ने भाजपा के चेयरमैन सतीश दुहारिया को सरकार ने निलंबित कर दिया था. वहीं सत्ताधारी पार्टी ने अब अपने समर्थन वाले निर्दलीय पार्षद को चेयरमैन की कुर्सी पर बिठा दिया है.

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राजगढ़ में 300 साल पुराने शिव मंदिर को तोड़ दिया गया था (फाइल फोटो)
राजगढ़ में 300 साल पुराने शिव मंदिर को तोड़ दिया गया था (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कांग्रेस ने राजगढ़ में बदला नगरपालिका का 'निजाम'
  • रात में दिलाई अपने समर्थन वाले निर्दलीय पार्षद को शपथ

राजस्थान के अलवर के राजगढ़ में 300 साल पुराने मंदिर को तोड़ने के बाद जमकर बवाल मचा था. सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस और विपक्षी दल भाजपा के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला था. जहां भाजपा ने आरोप लगाया था कि प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार ने मंदिर पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई हुई, वहीं कांग्रेस की ओर से कहा गया कि राजगढ़ नगरीय निकाय बोर्ड का चेयरमैन बीजेपी का है. उन्हीं ने बोर्ड में प्रस्ताव लाकर सड़क चौड़ीकरण के लिए मंदिरों और घरों को गिराया है. वहीं इस मामले में अब नया मोड़ आ गया है. कांग्रेस ने अपने समर्थन वाले निर्दलीय पार्षद को राजगढ़ नगरपालिका का चेयरमैन बना दिया है. उन्हें रात में ही शपथ दिलाई गई . दरअसल, शिव मंदिर को बुलडोजर से जमींदोज करने के बाद बीजेपी के सभी पार्षद और निलंबित चेयरमैन भूमिगत हो गए हैं. 

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क्या है राजगढ़ में सीटों का गणित?
 

कांग्रेस ने समर्थित पार्षद राजेंद्र चेयरवाल को राजगढ़ नगर पालिका में चेयरमैन नियुक्त किया गया  हैं. राजेंद्र चेयरवाल  को विधायक जौहरी लाल मीणा का करीबी माना जाता है. दरअसल, राजगढ़ नगरपालिका में 35 पार्षद हैं. दरअसल, चुनाव के समय भाजपा के 14 पार्षद जीते थे, जबकि 20 निर्दलीय और एक सीट कांग्रेस के खाते में आई थी. इसके बाद सभापति चुनाव में 18 निर्दलीय पार्षद भाजपा के खेमे में चले गए थे. जबकि 2 निर्दलीय कांग्रेस खेमे में रह गए थे. इसके बाद संख्या बल कुछ इस तरह हो गया था. भाजपा के पास 32 पार्षद, कांग्रेस के पास अपना महज एक पार्षद और कांग्रेस के समर्थन वाले 2 निर्दलीय पार्षद रह गए थे.

निर्दलीय पार्षद को क्यों बनाया सभापति?

राजगढ़ में भाजपा का बहुमत होने के बावजूद सरकार ने निर्दलीय कांग्रेस समर्थित पार्षद राजेंद्र चेयरवाल को सभापति के रूप में मनोनीत किया है.  हालांकि राजगढ़ नगर पालिका की सीट अनुसूचित जाति एससी के लिए आरक्षित है. वहीं कांग्रेस के पास एससी का कोई पार्षद न होने के कारण कांग्रेस समर्थित निर्दलीय पार्षद राजेंद्र चेयरवाल को सभापति मनोनीत किया है. 

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क्या बोले नवनियुक्त चेयरमैन?
 

नवनियुक्त चेयरमैन राजेंद्र चेयरवाल ने कहा कि राजगढ़ में जिस तरीके से अतिक्रमण के नाम पर मंदिर, मकान और दुकानों को तोड़ा गया है, उसका जल्द ही सर्वे कराकर राज्य सरकार से मुआवजा दिलाया जाएगा. लोगों का पुनर्वास किया जाएगा. साथ ही मंदिर का निर्माण कराया जाएगा. बता दें कि राजगढ़ में मंदिर तोड़ने के मामले में भाजपा के चेयरमैन सतीश दुहारिया को सरकार ने निलंबित कर दिया था.

फटाफट क्यों दिलाई गई शपथ?
 

बीजेपी के विरोध की आशंका के चलते राजगढ़ विधायक जौहरीलाल मीणा की मौजूदगी में रात को ही नगर पालिका के कार्यवाहक ईओ ने शपथ दिलाकर पदभार ग्रहण करवा दिया. शुक्रवार शाम को राज्य सरकार के प्रशासन विभाग के संयुक्त सचिव हृदेश कुमार शर्मा ने आदेश जारी कर वार्ड नंबर 8 के कांग्रेस समर्थित निर्दलीय पार्षद राजेंद्र चेयरवाल को 60 दिन के लिए सभापति नियुक्त कर दिया. 

मंदिर तोड़ने के मामले में क्या कार्रवाई हुई? 
 

अलवर में मंदिर तोड़े जाने के मामले में राजस्थान सरकार ने बड़ी कार्रवाई की थी. लिहाजा सरकार ने राजगढ़ के एसडीएम केशव मीणा और नगर पालिका के एग्जिक्यूटिव ऑफिसर बनवारी लाल मीणा को सस्पेंड कर दिया था. इस घटना में राजगढ़ के एसडीएम की भूमिका की भी जांच की बात कही जा रही थी.

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घटना पर क्या कहा था बीजेपी ने 
 

राजस्थान बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा था कि सरकार को रास्ता निकालकर मंदिर को बचाना चाहिए था. करौली की घटना के बाद सरकार की नीयत साफ नजर आ रही है. कांग्रेस सरकार तुष्टिकरण की राजनीति करके अपने वोट बैंक को खुश करना चाहती है, इसीलिए 300 साल पुराने मंदिर को तोड़ दिया गया.   

इस घटना पर कहा था कांग्रेस ने?


राजस्थान सरकार के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि बीजेपी झूठ बोल रही है. राजगढ़ नगरीय निकाय बोर्ड का चेयरमैन बीजेपी का है. उन्हीं ने बोर्ड में प्रस्ताव लाकर सड़क चौड़ीकरण के लिए मंदिरों और घरों को गिराया है. उन्हीं के इशारे पर मंदिर को तोड़ा गया है. जबकि हमारा यानी कांग्रेस का विधायक विरोध करते रह गया. गहलोत सरकार के मंत्री ने वादा किया है कि अगर कोई कानूनी अड़चन नहीं आई तो मंदिर दोबारा बनवाएंगे. 

ये है पूरा मामला

राजस्थान के अलवर जिले में 17 अप्रैल को नगरपालिका प्रशासन ने नगरीय मास्टर प्लान के तहत 35 अतिक्रमण हटाए थे. इनमें 300 साल पुराने मंदिर में भी बुलडोजर चला था. इसके साथ ही आसपास के घरों को भी अतिक्रमण बताकर तोड़ा गया था. कई मूर्तियां खंडित हो गई थीं. लोगों का कहना था कि 300 साल पुराने मंदिर में तोड़फोड़ की गई है.

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