पिछले 15 महीने से उदयपुर के बायोलॉजिकल पार्क में मैन इटर होने के जुर्म में काले पानी की सजा काट रहे उस्ताद टाइगर 24 के चाहने वालों के लिए अब एक अच्छी खबर आई है. दुनियाभर के बाघ प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाला टाइगर 24 उस्ताद अब उदयपुर बायोलॉजिक की कैद से जल्द आजाद होने वाला है. उस्ताद के स्वास्थ और आहार की जानकारी लेने आए विशेषज्ञों के दल ने उस्ताद के क्रियाकलापों को देखकर उस्ताद को अन्य जगह शिफ्ट किए जाने का विचार किया है
उस्ताद का होगा नया ठिकाना
रणथम्भौर की खुली आबोहवा में इंसानों पर हमले के बाद आदमखोर का कलंक झेलकर उदयपुर के छोटे से एनक्लोजर में कैद हुए टाइगर 24 को जल्द नया घर मिल सकता है. उम्मीद जताई जा रही है कि उस्ताद का यह घर या तो राजसमंद जिले का कुंभलगढ़ राष्ट्रीय उद्यान या टोंक जिले में प्रस्तावित आमली टाइगर सफारी हो सकता है. टाइगर 24 को शिफ्ट करने के लिए विशेषज्ञों ने अपनी राय दे दी है. हालांकि इसके पहले उस्ताद को और कुछ महीने उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में ही रहना होगा.
शिफ्टिंग को लेकर हुई चर्चा
दरअसल टाइगर 24 के स्वास्थ को लेकर उदयपुर में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की गठित टीम ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथोरिटी (एनटीसीए) के आईजी डॉ.एचएस नेगी के नेतृत्व में यहां बैठक की. इस टीम ने पिछले 2 दिनों में उस्ताद के रखरखाव और उसकी मॉनिटरिंग को लेकर की गई व्यवस्था को देखा और संतोष जताया. इसके पश्चात टीम ने बड़ी रोड स्थित अरण्य कुटीर में इसकी शिफ्टिंग को लेकर महतवपूर्ण चर्चा की.
गौरतलब है कि उस्ताद बचपन से ही गुस्सैल और आक्रमक रहा है. इसी वजह से बाघ प्रेमी इसे पसंद करते हैं. बाघ प्रेमियों का आरोप रहा है कि उस्ताद के स्वभाव की वजह से उसपर आरोप लगे हैं, वह आदमखोर नही है.
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
नौ वर्षीय उस्ताद रणथम्भौर की बाघिन टी-26 का बेटा है. रणथम्भौर अभ्यारण के प्रशासन ने टी-24 को द्वारा 4 लोगों को मौत के घाट उतारे जाने के बाद उदयपुर के बायोलॉजिकल पार्क में 16 मई 2015 को भेज दिया था. उसके बाद से ही उस्ताद अपने परिवार से दूर सज्जनगढ़ स्थित बायोलॉजिकल पार्क में काले पानी की सजा काट रहा है. हालांकि सरकार को टी 24 को यहां भेजे जाने पर वन्यजीव प्रेमियों द्वारा कड़ा विरोध भी झेलना पड़ा. देशी और विदेश के वन्य जीव प्रेमियों ने भी सेव टाइगर का नारा देते हुए एक स्वर में उस्ताद को फिर अपने घर रणथम्भौर भेजने की मांग की. यही नहीं उसके संरक्षण को लेकर हेल्प टी-24, मिशन टी-24, सेव मी टी-24, सुलतान द टाइगर, सेव मी टी-24 उस्ताद द टाइगर और सेव मी टी-24 द अल्टीमेट टाइगर आदि नाम से फेसबुक पेज भी बने. मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया मगर उस्ताद की रिहाई नही हो पाई.
उस्ताद का आक्रमक स्वभाव
23 नवंबर 2015 को उस्ताद ने कब्ज की शिकायत की वजह से आहार लेना छोड़ दिया था तब डॉक्टरो की टीम द्वारा 04 दिसम्बर 2015 को टी 24 का करीब 4 घंटे ऑपरेशन किया गया. इसके बाद उस्ताद ने भोजन लेना शुरू किया और उसके स्वास्थ में सुधार हुआ. उस्ताद के आक्रामक रवैए के कारण वन विभाग की टीम ने उसे बायोलॉजिकल पार्क में ग्रीन शेड से ढके एक एनक्लोजर में ही रखा हुआ है. अब उस्ताद द्वारा नियमित भोजन लेने और उसके स्वाभाव से आक्रमकता कम करने के लिए वन विभाग द्वारा उसे अन्यत्र स्थापित किए जाने पर विचार किया जा रहा है.
टीम ने तय किया कि टाइगर टी-24 को किसी भी सूरत में खुले वन्यक्षेत्र में नहीं छोड़ा जाएगा. लेकिन उस्ताद को प्राक्रतिक वातावरण देने के लिए करीब 5 हेक्टेयर के बड़े एनक्लोजर में रखे जाने पर विचार किया गया है, जिससे उस्ताद को बिल्कुल प्राक्रतिक वातावरण का अहसास हो और उसके स्वभाव से आक्रमकता कम हो सके. वन विभाग के सीसीएफ राहुल भटनागर का कहना है कि विशेषज्ञों ने उस्ताद को बाहर रखने के लिए इजाजत दे दी है. इसके लिए राज्य सरकार को लिखा जाएगा और जहां पर उचित जगह तय की जाएगी वहां ले जाया जाएगा. फिलहाल उस्ताद पहले से काफी बेहतर है.
बहरहाल 10 किलोमीटर के जंगल क्षेत्र में विचरण करने वाले उस्ताद टी 24 को अपने आक्रमक रवैये की वजह से सजा के तौर पर उदयपुर में एक छोटे से एनक्लोजर में अपना समय व्यतीत करना पड़ा. ऐसे में अब उसकी शिफ्टिंग को लेकर किए जा रहे विचारो से लगता हे की टी 24 के अच्छे दिन आ गए हैं.