अलवर जिले के सरिस्का बाघ अभ्यारण्य में बाघों की सुरक्षा खतरे में दिखाई दे रही है. सरिस्का में रविवार को बाघ एसटी 4 की मौत हो गई. साल 2018 में सरिस्का में अब तक तीन बाघों की मौत हो चुकी है. इनमें से 2 बाघों का शिकार किया गया जबकि एक बाघ एसटी 4 आपसी लड़ाई में घायल होने के 27 दिन बाद मर गया.
उप वनसंरक्षक हेमंत सिंह के मुताबिक 13 नवंबर में एसटी-4 और एसटी-6 के बीच सरिस्का बाघ अभयारण्य में लड़ाई हुई, जिसमें एसटी-4 गंभीर रूप से घायल हो गया था. जिसका एक एंक्लोजर में इलाज चल रहा था लेकिन बाघ के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ.
दरअसल, बाघों के मरने की ये पहली घटना नहीं है. सरिस्का में पिछले एक साल में तीन बाघों की मौत हो चुकी है. अलवर के सरिस्का बाघ अभ्यारण्य में दो नर बाघों में हुए संघर्ष में सरिस्का के सुल्तान कहे जाने वाले बाघ एसटी-6 ने बाघ एसटी-4 को गंभीर रूप से जख्मी कर दिया था. घायल बाघ एसटी-4 का अगले बाएं पैर और अन्य हिस्सों पर गहरे जख्म हो गए थे. जिसका लंबे समय से इलाज चल रहा था और रविवार को उसकी मौत हो गई, बाघ का पोस्टमॉर्टम कराया गया है.
सरिस्का के अधिकारियों ने बताया कि घायल बाघ शिकार नहीं कर पा रहा था और उसे चलने में परेशानी हो रही थी. बाघ पर सेप्टीसीमिया का खतरा हो सकता था. वन्य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ के वो घाव ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं, जिन्हें वो अपनी जीभ से नहीं चाट सकता, क्योंकि बाघ प्रजाति में सबसे जल्दी मेग्नेट्स प्रभावी होते हैं.