राजस्थान में वसुंधरा सरकार ने लोगों को 15 लाख रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन हालत ये है कि अब बेरोजगारों ने उपचुनावों में अपनी राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है. इसकी वजह है कि एक तरफ तो लोगों को नौकरियां मिल नहीं रही हैं. वहीं, दूसरी तरफ रोजगार के लिए बैंक भी लोन नहीं दे रहे. राज्य में आठ महीने में आठ फीसदी लोगों के भी लोन अप्रुव नहीं हुए हैं.
बेरोजगार युवाओं के संगठन राजस्थान बेरोजगार संघ ने एलान किया है कि अगर राज्य सरकार ने जल्द नई भर्तियां नहीं निकाली तो राजस्थान में होने वाले उपचुनाव में संगठन अपना प्रत्याशी उतारेगा. राजस्थान के अजमेर, अलवर संसदीय सीट और माण्डलगढ़ सीट पर चुनाव होने हैं.
संघ की बुलावे पर सैंकड़ों की संख्या में बेरोजगार अजमेर पहुंचे. बेरोजगार संघ के अध्यक्ष उपेन यादव का कहना है कि हमलोग अब संघर्ष कर थक गए हैं.
दरअसल राजस्थान सरकार ने नौकरियां तो बहुत निकाली हैं, मगर सभी कोर्ट केस में फंसी हैं. राज्य सरकार अबतक एक लाख के आसपास ही सरकारी नौकरी दे पाई है.
बेरोजगारी का आलम ये है कि राजस्थान विधानसभा के बाहर चपरासी बनने के लिए बोरेजगारों की कतार लगी है. 12 पदों के लिए 25 हजार लोगों ने आवेदन दिए थे, जिनमें से 18000 को बुलाया गया है. इनमें से ज्यादातर एमए, एमबीए और बीएड हैं जो चपरासी की पोस्ट के लिए इंटरव्यू देने आए हैं.
संदीप जो कि एमए और बीएड हैं वो कहते हैं कि डिग्री रखकर क्या करुंगा जब खाने के लिए पैसे नही रहेंगे.
सूबे की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी बेरोजगारी को लेकर कहा था कि, नौकरी मांगनेवाला नहीं, नौकरी देनेवाला बनो. इसके लिए सरकार ने उधोग विभाग से स्वरोजगार पैदा करने वालों का प्रोजेक्ट अप्रूव कर बैंको को भेजने का प्रावधान किया था. इसके बाद राजस्थान में पिछले आठ माह में सरकार ने 10 हजार 618 लोगों के आवेदन बैंकों को भेजे, जिसमें से महज 879 लोगों को लोन मिला. जहां सरकार बैठती है वहां कि स्थिति तो और भी खराब है कुल 336 लोगों के लोन के आवेदन सरकार ने भेजे इनमें से महज 13 लोगों को लोन मिला.
ये तो तब है जब राजस्थान सरकार ने लोन रिकवरी की गारंटी भी दी है. लोगों का कहना है कि बैंक से लोन मिलना आसान नहीं होता है. चक्कर लगाकर थक जाते हैं लेकिन लोन नहीं मिलता है. हालांकि अब कहा जा रहा है कि राजस्थान सरकार ने रिजर्व बैंक पर दबाव बनाया है कि बैंकों को लोन बांटने के लिए कहें.