राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सावन में भगवान शिव को खुश करने के लिए सरकारी खजाने से बाकायदा 50 लाख रुपये दिए हैं. वसुंधरा ने सात जिलों के 14 निजी मंदिरों में हर सोमवार रुद्राभिषेक का निर्देश दिया है.
सरकारी खजाने से महाआरती के लिए भी दिए थे पैसे
बीते दो शुक्रवार से मुख्यमंत्री दतिया के पीतांबरा पीठ पर जाकर बगलामुखी पाठ कर रही हैं. अब सावन में भगवान शिव को खुश करने की कवायद शुरू हो गई है. वैसे,
इसके पहले पिछली बार सरकार में रहते हुए वसुंधरा राजे ने नवरात्री में सरकारी खजाने से महाआरती कराने के आदेश दिए थे. तब विरोध होने पर दूसरे समुदाय के पूजा
स्थलों के लिए भी पैसे भेजे गए थे. लेकिन इस बार शिव जी के रुद्राभिषेक के अलावा दूसरे समुदाय के पूजा स्थलों को अलग रखने पर विपक्ष सवाल उठा रहा है.
कांग्रेस का कहना है सरकार का धर्म है कि सभी वर्ग को समान नजर से देखें और इस तरह की पहल से मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरजाघर में भी करना चाहिए था.
संघ की नाराजगी दूर करने की कोशिश
माना ये भी जा रहा है कि जिस तरह से संघ प्राचीन शिव मंदिरों को तोड़ने को लेकर वसुंधरा सरकार से खफा है उस नाराजगी को भी वसुंधरा राजे ने इस सरकारी
रुद्रभिषेक से कम करने की कोशिश की है.
वसुंधरा ने ताड़केश्वर मंदिर में पूजा की
वसुंधरा राजे खुद जयपुर के ताड़केश्वर मंदिर पहुंची और वहां पूजा-अर्चना की. सोमवार को सरकार की तरफ से इन मंदिरों में 11 पुजारी विशेष पूजा अर्चना करा रहे हैं और सभी जगह राजस्थान सरकार के मंत्री और बीजेपी नेता इसमें शामिल हो रहे हैं. राजस्थान सरकार का कहना है कि ये पूजा-अर्चना राज्य की खुशहाली के लिए की जा रही है और ये कार्यक्रम पूरे सावन चलेगा.