राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने विरोधियों को सीधी टक्कर देने के लिए जानी जाती हैं. जसवंत सिंह के पुत्र बीजेपी विधायक मानवेंद्र सिंह कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए तो शनिवार को उन्हें चुनौती देने के लिए वसुंधरा राजे उनके गांव बाड़मेर के जसोल जा पहुंची.
वसुंधरा राजे ने इस मौके पर जसवंत सिंह परिवार की कुलदेवी जसोल माजीसा राणी भटियाणी के मंदिर में पूजा अर्चना भी की. भले ही विरोधी या समर्थक वसुंधरा राजे के इस कदम का दाद दे रहे हों लेकिन इस बार जसोल में वसुंधरा राजे के लिए माहौल बदला-बदला सा था.
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 15 मिनट तक वहां मंदिर में पूजा अर्चना की और मंदिर की परिक्रमा भी की लेकिन मंदिर का कोई भी ट्रस्टी वसुंधरा के स्वागत के लिए नहीं आया. पिछली बार वसुंधरा राजे जब बाड़मेर रिफाइनरी के शिलान्यास के मौके पर यहां पर मंदिर में आई थीं तो ट्रस्ट ने उनका स्वागत किया था और कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जमा थी लेकिन इस बार कुछ एक बीजेपी कार्यकर्ता और विधायक ही स्वागत के लिए पहुंचे.
इसके बाद वसुंधरा राजे बाड़मेर के ही नोकड़ा स्थित जैन मंदिर गई और राजपुरोहितों के मंदिर आसोतरा भी गईं. जसोल के उलट इन दोनों जगहों पर वसुंधरा राजे का भव्य स्वागत किया गया. जिस तरह से वसुंधरा राजे ने अचानक से बाड़मेर के तीन मंदिरों का दौरा किया है उसे राजनीतिक हलके में वसुंधरा राजे की तरफ से दिया गया एक संदेश माना जा रहा है कि वह मानवेंद्र के पाला बदल लेने से घबराई हुई नहीं हैं.
वसुंधरा राजे पिछले कई दिनों से लगातार राजस्थान के अलग-अलग जिलों में मंदिरों का दर्शन कर रही हैं. आज से 3 दिन तक जयपुर के दिल्ली रोड स्थित एक होटल में टिकट वितरण को लेकर वसुंधरा राजे रायशुमारी कर रही हैं. 21 ,22 और 23 अक्टूबर को जयपुर और उसके आसपास के जिलों की विधानसभा के टिकट बंटवारा की रायशुमारी यहां होटल में की जाएगी. उससे पहले वसुंधरा राजे अचानक सुबह आज जसवंत सिंह के गांव पहुंच गई थीं.