राजस्थान की राजधानी जयपुर में सुबह से ही विधानसभा के आसपास का इलाका राजपूत समाज और पुलिस के बीच जंग का आखाड़ा बना रहा, जो शाम साढ़े सात बजे जाकर थमा. हाथों में डंडे, तलवारें और ईंट लिए राजपूतों ने विधानसभा के बाहर डेरा डाल दिया था.
राजपूत समाज के नेता अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे और इस दौरान तोड़-फोड़, आगजनी और पत्थरबाजी भी हो रही थी. ये प्रदर्शनकारी राजपूतों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने, समुदाय के विकास के लिए बोर्ड बनाने तथा फिल्म पद्मावती को बैन करने की मांग कर रहे थे. इसके साथ ही राजपूत समाज के नेता चतुर सिंह की हत्या की जांच सीबीआई से कराने की भी उनकी मांग थी.
राजधानी में हालात बिगड़ता देख मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने दो मंत्रियों को धरनास्थल पर भेजा, जहां पर प्रदर्शनकारियों से दो दौर की बातचीत के बाद आंदोलन खत्म हुआ. सरकार की तरफ से इनकी मांगे मानने के लिए तीन दिन का समय मांगा गया.
इससे पहले राष्ट्रीय करणी सेना के नेतृत्व में राजपूत समाज के हजारों लोगों ने शहर में जगह-जगह प्रदर्शन किया. इनकी तरफ से बीजेपी दफ्तर पर भी तोड़फोड़ की गई. वहां लगे होर्डिंग्स फाड़ डाले और गाड़ियों के शीशे फोड़ डाले. पत्थरबाजी में कई लोगों को चोटें भी आई. इसे देखते हुए भारी संख्या में पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स के जवान तैनात किए गए थे. करणी सेना के नेताओं का कहना है कि सरकार ने कहा है कि विधानसभा का सत्र चल रहा है इसलिए नीतिगत निर्णय नहीं कर सकते. इसलिए विधानसभा सत्र के बाद सारी मांगें मांगी जाएगी. उसके बाद अगर मांगे नहीं मांगी गई, तो प्रदेश भर में बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा. जबकि धरना स्थल पर आए मंत्री युनूस खान और पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार इन मांगों पर सहमत है. साथ ही ये भी कहा कि पद्मावती फिल्म राजस्थान में नहीं रिलीज नहीं होने देंगे.