राजस्थान कांग्रेस में पायलट गुट के विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. सोलंकी ने कहा कि कई अधिकारियों ने बताया है कि विधायकों के फोन टेप हो रहे हैं और कई विधायकों को ट्रैप करने की भी कोशिश हो रही है. बयान में सोलंकी ने कहा, कुछ विधायकों ने आकर मुझसे कहा था उनके फोन टेप हो रहे हैं. मेरा कोई फोन टेप नहीं हो रहा, न मुझे जानकारी है. मीडिया कर्मियों ने मुझसे फोन टैपिंग को लेकर सवाल पूछा था तो मैंने कहा -चर्चाएं तो अलग अलग मेरे पास भी आती रहती हैं. लेकिन अगर कोई फोन टेप होता है तो उसका पता भी नहीं लगता. मुझे तो आभास नहीं हुआ कि मेरा फोन टेप हो रहा है.
इस मामले पर राजस्थान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने कहा है कि राज्य सरकार फोन टैपिंग और जासूसी कर रही है तो मुख्यमंत्री उन विधायकों के नाम उजागर करें जिनकी फोन टैपिंग हो रही है. विधायकों की फोन टैपिंग हो रही तो उसके लिए दोषी सीधे-सीधे मुख्यमंत्री व गृहमंत्री होते हैं, जनता की अदालत में उन्हें जवाब देना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि कोई विधायक अगर यह आशंका व्यक्त करे कि जासूसी व फोन टैपिंग हो रही है, तो प्रदेश में अघोषित आपातकाल दिखता है. नैतिक रूप से कमजोर, राज्य की कांग्रेस सरकार कितने दिनों चलेगी कोई कह नहीं सकता, संकेत मध्यावधि चुनाव की ओर इशारा कर रहे हैं.
इस मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की एफआईआर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती भी दी है.
मुख्यमंत्री गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस और राजस्थान पुलिस को नोटिस दिया. शर्मा ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को कहा कि दिल्ली में एफआईआर दर्ज नहीं कराई जा सकती क्योंकि जूरिडिक्शन राजस्थान का है. उन्होंने कहा कि गजेंद्र सिंह शेखावत फोन टैपिंग के इस मामले में राजस्थान में खुद आरोपी हैं, जबकि लोकेश शर्मा पर जिस तरह के फोन टैपिंग के आरोप लगाए गए है, वो पूरी तरह निराधार हैं.
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बता दें कि शर्मा पर यह एफआईआर 2 महीने पहले दिल्ली में दर्ज की गई थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता गजेंद्र सिंह शेखावत को भी अपना जवाब दाखिल करने को कहा है और मामले की सुनवाई 6 अगस्त तक के लिए टाल दी है. गौरतलब है कि लोकेश शर्मा के खिलाफ केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ये एफआईआर दर्ज करवाई है.