बालात्कार के आरोप में फंसे राजस्थान के पूर्व मंत्री बाबूलाल नागर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, वहीं पीड़िता ने उसके साथ घटी घटना की पूरी जानकारी पुलिस को दी है.
घटना का पूरा विवरण पीड़िता की जुबानी
पीड़िता के पुलिस के सामने हुए 161 के बयान के अनुसार वो बाबूलाल नागर से अपने परिचित के एडमिशन के संबंध में मिली थी. 11 सितंबर को शाम 5 बजे बाबूलाल ने पीड़िता को फोन कर कहा कि तुम मिलने आ जाओ, तुम्हारा एडमिशन का काम करवा दिया है और तुम्हारी नौकरी के लिए भी बात कर ली है.
पीड़िता को मंत्री ने 18A-सिविल लाइन्स के निवास पर बुलाया, जो मुख्यमंत्री निवास से महज 200 मीटर की दूरी पर है. पीड़िता जैसे ही पहुंची बाबूलाल उसे कमरे में ले जाने लगे. पीड़िता के मना करने पर कहा कि मेरा परिवार भी अंदर ही है, डरने की जरुरत नहीं है. फिर ड्राइंग रूम के सामने के अंदर के कमरे में ले गए और उससे कहा कि तुम्हारी नौकरी का काम हो जाएगा और उससे छेड़-छाड़ करने लगे.
विरोध करने पर बाबूलाल ने कहा कि अगर तुम राजनीति में आना चाहती है और आगे जाना चाहती है तो ये सब तो करना ही पड़ेगा. ऐसे कुछ नहीं मिलता.
पीड़िता ने उसका विरोध करना शुरू किया तो बाबूलाल बिस्तर पर उठा- पटक शुरु कर दिए, उसके सारे कपड़े फाड़ दिए और दांतों से उसके शरीर को काट खाया. मंत्री जी तबतक कोशिश करते रहे जबतक वो पस्त नहीं हो गए. महिला जब जाने लगी तो कहा कि कपड़े संभाल लो और किसी को कुछ नहीं बताना, नहीं तो तुम्हारा अंजाम भी भंवरी देवी की तरह ही होगा.
उसके बाद वह डरे सहमे सोडाला थाने पहुंची लेकिन पुलिस ने कोई कारर्वाई करने के बजाए उसे भगा दिया. फिर पीड़िता ने वकील के जरीए 15 सितंबर को कोर्ट में याचिका दायर कर अपना हाल बताया. 16 सितंबर को कोर्ट ने पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए.
पुलिस की कार्रवाई
17 सितंबर को धारा 376 के तहत नागर के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. 18 सितंबर को शाम पांच बजे पुलिस महिला के घर पहुंची. वहां 161 के तहत पुलिस के सामने बयान हुए और रात साढ़े नौ बजे पुलिस पीड़िता को लेकर घटना स्थल यानी पूर्वमंत्री के बंगले पर पहुंची. वे सभी वहां पांच मिनट तक रुके.
महिला संगठनों ने पुलिस के इस रवैये का विरोध किया कि रात के समय पीड़िता को मंत्री के बंगले पर ले गए और मंत्री की पहचान करवाई. इसे कानून के खिलाफ बताया जा रहा है.
यहां कमरे की पहचान करवाई गई और कमरे को सील किया गया. इसके बाद दूसरे कमरे में बैठे मंत्री को दिखाया गया और पूछा गया कि यही मंत्री है क्या? पीड़िता ने कहा कि हां यही मंत्री है. फिर 19 सितंबर को सुबह 11 बजे महिला का मेडिकल कराया गया और शाम 6 बजे तक महिला से मौका-मुआयना कराया गया. इस बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बाबूलाल नागर से इस्तीफा लेते हुए कहा कि महिला की पुलिस सुरक्षा की व्यवस्था की जाएगी.
विपक्ष की मांग
राजस्थान की बीजेपी प्रदेश अध्यक्षा वसुंधरा राजे ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है. वसुंधरा का कहना है कि राजस्थान सरकार पर भरोसा नहीं है.
नागर की पहचान
बाबूलाल नागर का जन्म कन्हैयालाल नागर के घर 10 अक्टूबर 1960 को शाहपूरा के टवेरी गांव में एक दलित परिवार में हुआ था. गरीब परिवार में पैदा हुए नागर पढ़ाई-लिखाई करने वाले अपने घर के पहले शख्स थे. कानून के शिकंजे में फंसे नागर ने राजस्थान विश्वविधालय से कानून की पढ़ाई की है. बाबूलाल नागर के राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से शुरु हुई. सबसे पहले ये राजस्थान के राजस्थान कालेज के अध्यक्ष बने, फिर प्रदेश सेवा दल के सचिव और फिर जिला परिषद के सदस्य बने.
1998 में पहली बार दूदू से विधायक बने और फिर 2003 और 2008 में यहीं से चुनाव जीते. 2008 में चुनाव जितने के बाद पहली बार कैबिनेट मंत्री बने. इन्हें खाध आपूर्ति एवं डेयरी मंत्री बनाया गया. कांग्रेस में भीड़ जुटाऊ नेता के रुप में पहचान रहखनेवाले बाबूलाल का रुतबा इतना बढ़ गया कि 2011 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने दूदू से आधार कार्ड की लांचिंग शुरु की.
जयपुर में जब भी कोई भीड़ जुटानी होती थी तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन्ही पर निर्भर रहते थे. यही वजह थी कि राज्य में सर्वाधिक भ्रष्ट मंत्री कहे जाने के बावजूद गहलोत इन्हें हटा नही पाए. नागर गहलोत सरकार के दलित चेहरा थे और चुनाव जितने के लिए सचिन पायलट भी इनके पास आते थे.
विवादित नागर
बाबूलाल नागर का विवादों से पुराना नाता रहा है. सबसे पहले नागर तब विवादों में आए जब खुद उनकी पत्नी सुनीता नागर 2001 में उनके खिलाफ एक एनजीओ में जाकर बैठ गई थीं. तब गहलोत की सरकार थी और मामला रातो-रात रफा-दफा किया गया. उस समय उनकी पत्नी ने आरोप लगाया था कि कि ब्यूटी पार्लर के संचालिका के साथ उनका संबंध है.
2002 में उनका सितारा तब चमका जब फागी के चकवाड़ा में दबंगों ने दलितों को तालाब पर नहाने से रोक दिया था. बाबूलाल तब दलितों के नेता बने और कांग्रेस में उनका कद बढ़ा. तीसरी बार जब दूदू से बाबूलाल नागर विधानसभा पहुंचे तो अशोक गहलोत ने इन्हें खाद्य-आपूर्ति एवं डेयरी मंत्री जैसा
मलाईदार पद दिया.
बालूलाल नागर पर तब इतने भ्रष्टाचार के आरोप लगे की सुप्रीम कोर्ट ने पीडीएस सिस्टम में देश का सर्वाधिक भ्रष्ट राज्य राजस्थान को करार दिया. 2010 में एक व्यक्ति ने बाबूलाल पर आरोप लगाया कि मानसरोवर पुलिस से कह कर बाबूलाल ने उसके हाथ-पांव तुड़वा दिए. तब भी कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज हुआ लेकिन इसबार भी मंत्री जी ने केस को रफा-दफा करा दिया.
2011 में आरोप लगा कि नरेगा के पैसे से और मजदूरों से नागर ने अपने फार्म हाउस की सड़क बनवा दी. तब बाबूलाल ने बिल चुकता कर अपना पीछा छुड़ाया. उसके बाद बाबूलाल के खिलाफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चिट्ठी लिखी गई, जिसे गहलोत ने जांच के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो को भेज दी.
उसमें उन्हे ये कहते हुए क्लीन चीट दे दी गई कि शिकायतकर्ता नही मिल रहा है. लेकिन महिपाल मदरेणा प्रकरण के बाद हुए मंत्रीमंडल में फेरबदल के बाद इनसे खाध्य आपूर्ति मंत्रालय छीन लिया गया और खादी मंत्रालय दिया गया.
लेकिन गहलोत के पास नागर ने गुहार लगाई कि खादी लेकर वे क्या करेंगे, फिर साथ में डेयरी भी दे दिया गया. यहां भी राजस्थान डेयरी के चेयरमैन और खादी बोर्ड के चेयरमैन के साथ छगड़ों की वजह से नागर चर्चित रहे.
इलाके में थानेदार से लेकर कांस्टेबल तक की पोस्टिंग बाबूलाल नागर खुद करते थे. एसडीएम, एडीएम, तहसीलदार, सप्लाई इंस्पेक्टर जैसे लोगों से बाबूलाल कभी सीधी मुंह बात नही करते थे. कई बार तो बाबूलाल नागर के लोगों के साथ गाली-गलौज करने और जान से मारने की धमकी की ऑडियो सीडी भी बाजार में आई है. पिछले महीने इन पर आरोप लगा कि फागी थाने के थानेदार ने हफ्ता नहीं दिया तो थाने के कांस्टेबल से ही पिटवा दिया. लेकिन लोगों के काम के लिए अफसरों को धमकाने की वजह से ये लोगों में चर्चित भी रहे और इसी वजह से भीड़ साथ रहती थी.