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यूपी-राजस्थान की सियासी लड़ाई! बीच मझधार में अटकी कई लोगों की मोक्ष यात्रा

राजस्थान की मोक्ष कलश योजना के जरिए कई लोगों को हरिद्वार में अपने परिजनों का अस्थि विसर्जन करने का मौका मिलता है. राज्य सरकार द्वारा ही बसों का इंतजाम किया जाता है और सभी उसमें बैठ हरिद्वार जाते हैं.

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बीच मझधार में अटकी कई लोगों की मोक्ष यात्रा
बीच मझधार में अटकी कई लोगों की मोक्ष यात्रा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीच मझधार में अटकी कई लोगों की मोक्ष यात्रा
  • यूपी-राजस्थान के बीच सियासी लड़ाई
  • आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी, पीड़ित परेशान

कोरोना काल में कई लोगों ने जान गंवाई, सदी की सबसे भयंकर तबाही देखी लेकिन फिर भी सियासत जारी रही और राजनीतिक गलियारों में कई मुद्दों पर लगातार विवाद होता रहा. ऐसा ही एक विवाद राजस्थान और यूपी सरकार के बीच चल रहा है जिस वजह से कई लोगों की मोक्ष यात्रा बीच मझधार में फंस गई है. बताया गया है कि यूपी सरकार द्वारा राजस्थान की उन बसों को राज्य में एंट्री नहीं दी जा रही जिनमें कई लोग अपने परिजनों के अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार जाना चाहते हैं.

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बीच मझधार में अटकी कई लोगों की मोक्ष यात्रा

ये विवाद काफी पुराना है लेकिन अभी तक इसका कोई समाधान नहीं निकला. यूपी सरकार द्वारा कोरोना प्रोटोकॉल्स का हवाला देते हुए बसों को मंजूरी नहीं दी जा रही है. लेकिन दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि सात जुलाई को उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त धीरज साहू ने हरियाणा और उत्तराखंड जाने के लिए UP की बसों को इजाजत दे दी थी, वहीं दूसरे राज्यों से भी यूपी में बसों का आना-जाना लगा रहा. ऐसे में राजस्थान सरकार द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं कि मुश्किल समय में उनके राज्य के साथ ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है.

यूपी ने राजस्थान की बसों को रोका?

बता दें कि राजस्थान की मोक्ष कलश योजना के जरिए कई लोगों को हरिद्वार में अपने परिजनों का अस्थि विसर्जन करने का मौका मिलता है. राज्य सरकार द्वारा ही बसों का इंतजाम किया जाता है और सभी उसमें बैठ हरिद्वार जाते हैं. अब विवाद ये है कि उत्तराखंड सरकार ने राजस्थान की बसों को हरी झंडी दिखा दी है, लेकिन यूपी द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है. इस वजह से कई लोग महीनों से अपने परिजनों की अस्थियां विसर्जित नहीं कर पाए हैं. गहलोत सरकार ने मांग की है कि इस मामले में केंद्र अपनी तरफ से हस्तक्षेप करे और समस्या का जल्द हल निकाले.

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राजस्थान सरकार का क्या आरोप है?

आज तक के पास मौजूद दस्तावेज़ के अनुसार राजस्थान के मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवाड़ी को 13 मई को पत्र लिखा था. पत्र के जरिए अस्थियां विसर्जित करने के लिए बसों को उत्तर प्रदेश के रास्ते हरिद्वार जाने की बात कही गई थी. इसके बाद राजस्थान रोडवेज़ के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राजेश्वर सिंह ने भी उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त धीरज साहू को इसके लिए पत्र लिखा था. लेकिन यूपी सरकार द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया और ये विवाद बढ़ता गया. 

पीड़ित परिवारों की आपबीती

इस बारे में सीकर के विनोद चौहान बताते हैं कि उन्होंने बहुत इंतजार किया था. लेकिन बाद में खुद ही प्राइवेट टैक्सी कर हरिद्वार में अस्थि विसर्जन करके आए. इस सब में उनका 20 हजार का खर्चा आ गया. वहीं एक पीड़ित परिवार तो ऐसा भी सामने आया है जो पिछले दो महीने से अपने पिता की अस्थियों का विसर्जन करने का इंतजार कर रहा है. बताया गया है कि राजस्थान के श्मशानों में फ़िलहाल ढाई हज़ार से ज़्यादा अस्थि कलश गंगा में प्रवाहित होने का इंतज़ार कर रहे हैं.

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