क्या कांग्रेस ओपिनियन पोल से डर गई है? कांग्रेस भले ही ऐसा न माने पर विपक्ष तो यही आरोप लगा रहा है.
दरअसल, चुनावों के दौरान ओपिनियन पोल के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगाने के चुनाव आयोग के विचार का समर्थन करते हुए कांग्रेस ने कहा कि रैन्डम सर्वे ‘त्रुटिपूर्ण’ होते हैं और उनमें ‘विश्वसनीयता की कमी’ होती है. साथ ही पार्टी ने कहा कि निहित स्वार्थ के लिए उन्हें ‘तोड़ मरोड़’ किया जा सकता है.
इसके बाद से ही विपक्ष ने कांग्रेस पर हमले तेज कर दिए हैं. विपक्ष का कहना है कि हाल के चुनावी सर्वे से कांग्रेस डर गई है. बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कोई ओपनियन पोल को बंद करा सकता है. वहीं शिरोमणि अकाली दल ने कहा कि जब कांग्रेस के लहर में हवा चलती थी तो पार्टी को कोई परेशानी नहीं थी.
कांग्रेस ने अपने इस फैसले का बचाव किया है. पार्टी नेता राशिद अल्वी ने कहा कि हमें कोई डर नहीं है लेकिन ओपनियन पोल से जनता गुमराह होती है.
आपको बता दें कि सरकार ने ओपिनियन पोल के मुद्दे पर आयोग को फिर से विचार-विमर्श करने का निर्देश दिया था जिसके बाद आयोग ने विभिन्न राजनीतिक दलों से पिछले महीने विचार मांगे थे.
निर्वाचन आयोग को 30 अक्तूबर को लिखित जवाब में कांग्रेस ने कहा कि वह ‘चुनावों के दौरान ओपिनियन पोल के प्रकाशन एवं प्रसारण पर रोक लगाने के निर्वाचन आयोग के विचारों को पूरा समर्थन देता है.’ आयोग को पार्टी के आधिकारिक रुख से अवगत कराते हुए कांग्रेस के कानूनी एवं मानवाधिकार विभाग के सचिव के. सी. मित्तल ने कहा, ‘वास्तव में चुनावों के दौरान ओपिनियन पोल न तो वैज्ञानिक हैं और न ही ऐसे पोल की पारदर्शी प्रक्रिया होती है.’
फिलहाल मतदान के 48 घंटे पहले से ओपिनियन पोल पर प्रतिबंध है.