मध्यप्रदेश में युवा आईपीएस अफसर नरेंद्र कुमार के कथित हत्याकांड में एक अदालत में आरोप पत्र पेश करते हुए सीबीआई ने अहम खुलासा या कि यह मामला हत्या का नहीं, बल्कि गैर इरादतन हत्या का है.
सूबे के सियासी माहौल को गरमाने वाली इस सनसनीखेज वारदात के पीछे जांच एजेंसी को खनन माफिया या राजनीतिक बिरादरी की संदिग्ध साजिश का कोई सबूत नहीं मिला है.
प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट सुमन श्रीवास्तव के सामने हत्याकांड के इकलौते आरोपी मनोज गुर्जर के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र में सीबीआई की जांच के नतीजों से परदा उठा.
सीबीआई ने गुर्जर के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), धारा 353 (सरकारी कारिंदे को अपने कर्तव्य से डिगाने के लिये आपराधिक बल प्रयोग) और मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 181 (सहपठित धारा 3) के तहत आरोप लगाये हैं.
गुर्जर पर आरोप है कि उसने मुरैना जिले में आठ मार्च को ट्रैक्टर ट्रॉली से कुमार को कुचल दिया, जब वर्ष 2009 बैच के आईपीएस अफसर ने उसे पत्थर से लदा वाहन रोकने को कहा था.
खनिज माफिया के इशारे पर कुमार की हत्या के आरोपों को लेकर मचे सियासी बवाल के फौरन बाद प्रदेश सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी.
आईपीएस अफसर की विधवा और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी मधुरानी तेवतिया ने भी कथित हत्याकांड के बाद मांग की थी कि प्रकरण की जांच सीबीआई से करायी जानी चाहिये.