मंगलवार की मुलाकात के बाद बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच भले ही संधि की बात की जा रही हो, मगर आडवाणी के खास सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी कुछ और ही इशारा कर रहे हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में आडवाणी फॉर पीएम कैंपेन के अगुवा रहे कुलकर्णी ने एक खतनुमा लेख में नरेंद्र मोदी को ‘तानाशाह’ बताया है और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह को ‘लोमड़ी सी नीयत वाला’. कुलकर्णी ने लिखा है कि एक तानाशाह को गद्दीनशीन करने की तैयारी चल रही है. इस फेर में एक आदर्श लोकतांत्रिक नेता को न सिर्फ किनारे कर दिया गया है, बल्कि उसका अपमान भी किया जा रहा है.स्पष्ट तौर पर यहां कुलकर्णी का इशारा नरेंद्र मोदी को बीजेपी चुनाव प्रचार कमेटी का चेयरमैन बनाए जाने और इस क्रम में आडवाणी को किनारे कर दिए जाने की तरफ है.
कैश फॉर वोट मामले में जेल जा चुके सुधींद्र यहीं नहीं रुकते. वह लिखते हैं कि खुद की सोचने वाला एक नेता, जो संगठन का हमेशा तिरस्कार करता रहा है, जिसके अपने राज्य के साथी हमेशा झल्लाहट का शिकार रहे हैं, आज अचानक ताकतवर हो उठा है. बीजेपी की राष्ट्रीय योजनाओं का अगुवा बन गया है. जबकि हमेशा त्याग करने वाला, खुद के बजाय दूसरों की सोचने वाला और दशकों से ईंट-ईंट जोड़कर पार्टी बनाने वाला नेता इस तरह किनारे कर दिया गया है, जैसे वह कोई पुरातात्विक महत्व की चीज भर हो.
मोदी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाते हुए कुलकर्णी कहते हैं कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि नरेंद्र मोदी अपने ही राज्य में सबको साथ लेकर चले हों. ऐसे में उनसे गठबंधन संभालने की उम्मीद कैसे की जा सकती है.
संघ पर भी साधा निशाना
आडवाणी प्रकरण में संघ का रोल भी जगजाहिर था. संघ अड़ा तो बुजुर्ग की नाराजगी को ताक पर रखकर मोदी के नाम का ऐलान गोवा में कर दिया गया. फिर बुजुर्ग नाराज हुए, तो संघ ने ही मामले को सुलटाया. ऐसे में आडवाणी खेमा संघ से भी खार खाए बैठा है. कुलकर्णी लिखते हैं कि दूसरी पीढ़ी के नेताओं को आगे करने के नाम पर पार्टी खड़ा करने वालों को शक्तिहीन करने का खेल संघ ने रचा.
राजनाथ को खरी-खरी
मोदी और संघ के बाद कुलकर्णी ने पार्टी मुखिया को भी नहीं बख्शा. उन्होंने कहा कि राजनाथ किसी ज्योतिषी के बताए भुलावे में हैं कि एक दिन वह देश के प्रधानमंत्री बनेंगे. इसी के लिए वह अपनी सियासी चालें चल रहे हैं. बीजेपी में आडवाणी की जगह कमजोर कर रहे हैं. खत के आखिर में कुलकर्णी लिखते हैं कि बीजेपी का क्षय शुरू हो चुका है. अगर आडवाणी को इसी तरह अपमानित किया जाता रहा, बगावत या संन्यास के लिए विवश किया गया, तो पार्टी का खात्मा और भी तेजी से होगा.