जिनका रास्ता सत्य और अहिंसा है, जिनका मकसद ज्ञान पाना है, जिनकी मंजिल शांति की प्राप्ति है, उनके सबसे बड़े तीर्थ पर आतंकी हमला हो गया. बुद्ध की नगरी का कलेजा छलनी हो गया.
बोधगया हमारे देश की शान है. यह सदियों के इतिहास का साक्षी रहा है, तो धार्मिक रूप से इसकी अहमियत इस बात से समझी जा सकती है कि यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया है. गौतम बुद्ध को जहां ज्ञान मिला, जहां उन्हें भगवान का दर्जा मिला, वहां अपने नापाक इरादे लेकर पहुंच गए आतंकी.
जहां सबसे पहले गूंजा 'बुद्धं शरणं गच्छामि' का महामंत्र, जहां राजकुमार सिद्धार्थ ने की तपस्या, जहां सिद्धार्थ को मिला ज्ञान, जहां ज्ञान प्राप्त करके सिद्धार्थ कहलाए गौतम बुद्ध, वही है गौतम बुद्ध की तपस्या का केंद्र महाबोधि मंदिर.
रविवार को बोधगया के महाबोधि मंदिर में खास परिक्रमा होती है. आतंकियों ने इसी को निशाना बनाया. रविवार तड़के 5 बजकर 25 मिनट पर सिलसिलेवार धमाके शुरू हो गए. लगातार आठ धमाके हुए. आतंकी धमाकों से मंदिर पर तो कोई खास असर नहीं पड़ा, लेकिन यहां का पवित्र पीपल का पेड़ क्षतिग्रस्त हो गया.
बोधगया को बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध की नगरी कहा जाता है. यही वो जगह है जहां बुद्ध को ज्ञान मिला और वे सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध कहलाने लगे.
गौतम बुद्ध की यह ज्ञान स्थली सदियों पुरानी है. बोधगया बौद्धों का सबसे बड़ा तीर्थस्थल, है तो वहीं गौतम बुद्ध का महाबोधि मंदिर बौद्धों के लिए सबसे बड़ी आस्था का केंद्र. बौद्ध ही नहीं, दुनिया के सभी धर्मों और संप्रदायों के लोग यहां आध्यात्मिक शांति के लिए आते हैं. आस्था के यह केंद्र दुनिया भर में मशहूर है. यही वजह है कि वर्ष 2002 में यूनेस्को ने बोधगया को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित कर दिया.
महाबोधि मंदिर में गौतम बुद्ध की पद्मासन मुद्रा में जो मूर्ति है, वही बुद्ध की सबसे प्रतिष्ठित प्रतिमा है. नालन्दा और विक्रमशिला के मंदिरों में भी इसी मूर्त्ति की हू-ब-हू नकल करके प्रतिमा बनाई गई है.
भारत सभी धर्मों का सम्मान करने वाला देश है. सभी धर्मों के आस्था के केंद्र यहां हैं. हमारे देश में सभी धर्मों और धर्मावलंबियों की आस्था का सम्मान करने की सनातन परंपरा रही है. ऐसे में बौद्धों के सबसे बड़े तीर्थ और दुनिया भर को सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले गौतम बुद्ध की नगरी पर हमले से हर कोई आहत है.