चुनावी मौसम में कांग्रेस को मध्य प्रदेश के तालाबों में खिले कमल भी खटकने लगे हैं. प्रदेश कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मांग की है कि तालाबों में खिले सारे कमल के फूल ढक दिए जाएं, ताकि लोग अनुचित तरीके से बीजेपी की ओर आकर्षित न हो सकें.
महाकौशल, मालवा और बुंदेलखंड में खिले कमल के फूलों से कांग्रेस को खास परेशानी है. कांग्रेस का मानना है कि इन तालाबों को ढंके जाने के बाद ही दोनों पार्टियों को बराबरी का मौका मिलेगा.
UP में ढकी गई थी हाथी की मूर्तियां
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान चुनाव आयोग ने लखनऊ में बीएसपी के चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियां ढकवा दी थीं.
मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता विश्वास सारंग ने पलटवार करते हुए कहा है कि यह कांग्रेस के 'मानसिक दिवालिएपन और निराशा' का प्रतीक है. उन्होंने कहा, 'इसका मतलब है कि लोग अपने हाथ भी ढकना शुरू कर देंगे, क्योंकि वह भी तो एक पार्टी का निशान है.'
कांग्रेस का दावा, 40 सीटों पर पड़ेगा असर
कांग्रेस की इस अजीबोगरीब मांग से जबलपुर के निर्वाचन अधिकारी राजेश जैन सकते में हैं. उन्होंने कहा कि वह इस मामले पर फैसला लेने के लिए अधिकृत नहीं हैं. वह अपने सीनियर अधिकारियों से इस पर बात करेंगे.
कांग्रेस सभासद अमर चंद बावड़िया ने दलील दी है कि जब हाथियों की मूर्तियां यूपी चुनावों पर असर डाल सकती थीं तो कमल के फूल क्यों नहीं? उन्होंने कहा, 'मध्य प्रदेश में 40 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां बड़े स्तर पर कमल की खेती की जाती है. हम नहीं चाहते कि कमल की फसल लोगों को बीजेपी के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करे.'
2008 में कमल वाली किताब पर भी हुई थी शिकायत
एक और स्थानीय नेता मनमोहन अग्रवाल ने बताया कि धर के जिला निर्वाचन अधिकारी ने भरोसा दिया है कि मानावाड़ विधानसभा क्षेत्र के पोलिंग बूथ से सटे कमल के तालाब को वह चुनाव के दौरान ढकवा देंगे. उन्होंने कहा कि वह पूरे प्रदेश में ऐसा ही चाहते हैं.
अग्रवाल ने याद किया कि 2008 में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की अगुआई में पार्टी ने चुनाव आयोग से छठी क्लास की सोशल साइंस की किताब को वापस लिए जाने की मांग की थी, क्योंकि उसमें कमल का फूल छपा हुआ था. उन्होंने कहा, 'मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने तब मध्य प्रदेश सरकार से नाराजगी जताई थी और उसे बदलाव करने के लिए दो हफ्तों की डेडलाइन दी थी. हमें यकीन है कि चुनाव आयोग इस मसले पर भी ध्यान देगा.'